भाटपार रानी/ देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
मदन मोहन मालवीय पी.जी. कॉलेज केन्द्रीय ग्रंथालय के “तक्षशिला ग्रंथागार” में “तक्षशिला ई-लाइब्रेरी” के भव्य उद्घाटन अवसर पर समारोह को संबोधित करते हुए दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्याल की कुलपति प्रो. डॉ. पूनम टण्डन द्वारा अपने संबोधन में बताया गया कि ई-कंटेंट क्षेत्र से आज पूरी दुनिया मुट्ठी में है जिससे बौद्धिक क्षमता को ऊंची उड़ान एवं एक नई मुकाम मिली है। वहीं अब ई- ग्रंथालय के आ जाने के बाद से आज ग्रंथालयों की उपादेयता बढ़ गई है। वहीं अब छात्र 24 घंटे पुस्तकालयों को खोले जाने की मांग कर रहे हैं।
उक्त बातें प्रोफेसर टंडन द्वारा भाटपार रानी तहसील क्षेत्र के भाटपार रानी कस्बे के मदन मोहन मालवीय पी.जी. कॉलेज के तक्षशिला ग्रंथालय स्थित सभागार में आयोजित ई लाईब्रेरी व राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित करते हुए कहीं। उन्होंने कहा कि विज्ञान के शोधार्थियों को शोध के लिए पहले बाहर जाना पड़ता था अब एक क्लिक में शोध के लिए दुर्लभ विषय भी उपलब्ध हो जा रहे हैं। पहले के एक वर्ष का काम अब एक सप्ताह में पूरे किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के ग्रंथालयों की जरूरत छात्रों से अधिक आचार्य जन के लिए है। दुनिया के नए शोधों से आचार्य परिचित हो रहे हैं। प्रोफेसर टंडन ने ऑनलाइन कंटेंट पर विस्तार पूर्वक चर्चा करते हुए कहीं की इस विधा का प्रयोग विश्वविद्यालय ऑनलाइन कक्षाओं में कर रहा है। कुछ विश्वविद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाएं संचालित भी हैं। साइबर लाइब्रेरी के सभी पक्षों पर उन्होंने विस्तार पूर्वक अपनी बात रखी। महादेवी वर्मा की ग्रंथालय के संदर्भ में दी गई लाइन को उन्होंने संदर्भित किया|
संस्थान के प्रबंधक राघवेंद्र वीर विक्रम सिंह ने कहा कि संस्थान के उपलब्धि भरे क्षण के इस ऐतिहासिक क्षण में संस्थान परिवार की तरफ से संस्थान के मुखिया होने के कारण आगत अतिथियों का हार्दिक स्वागत करता हूं। साथ ही संस्थान के गौरवशाली इतिहास पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि डिजिटल क्रांति हेतु यह ग्रंथालय मध्यमवर्गी परिवार के छात्रों को घर बैठे देश-विदेश के ज्ञान विज्ञान से परिचित कराएगा। जो कि राष्ट्र निर्माण में अद्वितीय योगदान होगा। साथ ही ई-लाइब्रेरी की उपा–ध्ययिता एवं सार्थकता पर विस्तार पूर्वक चर्चा की और कहा कि आज इस संस्थान को शिखर पर खड़ा करने का श्रेय दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन का योगदान है।
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय गोरखपुर के ग्रंथालयी एवं संगोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ. विभाष कुमार मिश्र ने कहा कि यह तक्षशिला ग्रंथालय विश्वविद्यालय का पहला ग्रंथालय है, जिसने डेल–नेट की सदस्यता अर्जित की है। इस सदस्यता को अर्जित करने वाले ग्रंथालय 8904 से अधिक देश-विदेश के ग्रंथालयों से सीधे जुड़ जाते हैं। तब ऐसे ग्रंथालय की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है। पहले पाठक ग्रंथालय तक पहुंचता था, अब यह ग्रंथालय पाठक तक पहुंच गया है। विशिष्ट वक्ता म.मो.मा प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय गोरखपुर के ग्रंथालयी डॉ. देवेन्द्र मणि पाण्डेय ने कहा कि पिछले माह पूर्वांचल का यह पहला पीजी कॉलेज है जहां ग्रंथालय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी के एक माह के अंदर ही यह ग्रंथालय ई-लाइब्रेरी में परिवर्तित हो गया है। नई शिक्षा नीति की यही मांग भी है। पुस्तकालय अध्यक्ष राजेश धर द्विवेदी ने गोष्ठी का विषय परावर्तन किया। प्राचार्य प्रोफ़ेसर सतीश चंद्र गौड़ ने आगंतुकों के प्रति आभार प्रकट किया। संस्थान के प्रबंधक एवं प्राचार्य द्वारा अतिथियों को बुके एवं अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समारोह का शुभारंभ सरस्वती चित्र एवं मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर पुष्पर्चन के साथ किया गया ।कार्यक्रम का संचालन संस्थान के उपाध्यक्ष व कुशल वक्ता डॉ पवन कुमार राय ने की। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ सतीश चन्द्र गौर ने समस्त आगत अतिथियों के प्रति आभार ज्ञापित किया तथा इस अवसर को संस्थान की जीवन यात्रा मे मील का पत्थर करार दिया |
समारोह में,उत्कर्ष नारायण राय, शिवप्रसाद, प्रवीण शाही आदि लोग मौजूद रहे।
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