
भारत भर में प्रयाग महाकुम्भ का
संगम में पवित्र डुबकी लगाने का,
त्रिबेणी में पवित्र स्नान करने का,
जन सैलाब उमड़ घुमड़ जाने का।
उत्साह तरंगित भारत का जन जन,
पावन तीर्थ, महाकुंभ प्रयाग संगम,
गंगा, यमुना, सरस्वती नदी समागम,
धर्म,अर्थ, काम,मोक्ष पाने की मुहिम।
मुहिम जिसमें चाहे जो कुछ हो जाए,
पवित्र डुबकी लगाना ही है जैसे भी हो,
हवाई यात्रा, रेल, बस, निज वाहन,
जो मिला उसी से संगम का आवाहन।
जल्दबाजी इतनी कि सोच में संगम है,
आपाधापी में गिरना उठना लाज़िम है,
किंकर्तव्यविमूढ़ हुये, भागे ऊपर से,
जो पड़ा धरा पर नहीं दिखा नज़रों से।
फैली अफवाहें और होती भगदड़,
चाहे कुम्भ के मेले के की बात हो,
या नई दिल्ली रेल स्टेशन पर हो,
चाहे कितना भी चुस्त प्रशासन हो।
आदित्य पुण्य पाप यहीं रह जाएँगे,
होशो हवास में, जाने अनजाने में,
सावधानी जहाँ कहीं भी घटती है,
ऐसी दुर्घटना वहीं पर हो जाती है।
- डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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