नवरात्रि का छठा दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप माता कात्यायनी की आराधना के लिए समर्पित है। पुराणों के अनुसार ऋषि कात्यायन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया और वे कात्यायनी नाम से विख्यात हुईं। उनका वर्ण स्वर्ण जैसा तेजस्वी है। चार भुजाओं में से दाहिना हाथ अभय मुद्रा में और बायां हाथ वर मुद्रा में रहता है, जबकि अन्य दो हाथों में तलवार और कमल पुष्प सुशोभित हैं। सिंह इनका वाहन है जो शक्ति और साहस का प्रतीक है।
पूजा विधि-विधान
छठे दिन सुबह स्नान कर पवित्र वस्त्र धारण करने के बाद पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध किया जाता है। देवी की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर अक्षत, रोली, पुष्प और दीप से पूजन प्रारंभ होता है। माता कात्यायनी को लाल फूल, लाल वस्त्र और सुगंध अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। पूजा में दुर्गा सप्तशती या कात्यायनी स्तोत्र का पाठ विशेष फल प्रदान करता है। नैवेद्य में शहद या गुड़ का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है क्योंकि यह माता को प्रिय है। अंत में आरती करके प्रसाद वितरण तथा कन्याओं या ब्राह्मणों को भोजन कराकर आशीर्वाद लिया जाता है।
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प्रमुख मंदिर
भारत में माता कात्यायनी के अनेक प्रसिद्ध मंदिर आस्था के केंद्र हैं। उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में स्थित माँ कात्यायनी मंदिर, वृंदावन को शक्ति पीठ भी माना जाता है, जहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ किले में स्थित कात्यायनी मंदिर ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के करही गाँव में माँ कात्यायनी शक्ति पीठ भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। दक्षिण भारत में केरल के तिरुवनंतपुरम स्थित कात्यायनी मंदिर विशेष रूप से शक्ति उपासकों में प्रसिद्ध है।
पूजा से होने वाले लाभ
माता कात्यायनी को विवाह और कुमारिका स्त्रियों की देवी माना गया है। कन्याएँ यदि उचित विवाह की इच्छा रखती हैं तो वे कात्यायनी व्रत करके शीघ्र ही मनचाहा वर प्राप्त करती हैं। अध्यात्म में यह दिन अनाहत चक्र की साधना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, जिससे साधक को आत्मबल, प्रेम और करुणा की प्राप्ति होती है। माता की पूजा से रोग, भय और शत्रु बाधाओं का नाश होता है। गृहस्थ जीवन में शांति तथा दाम्पत्य जीवन में सुख-सौहार्द की वृद्धि होती है। इसके साथ ही साधक को आत्मविश्वास, साहस और विजय प्राप्त होती है।
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कात्यायनी का छठा दिन शक्ति साधना का महत्वपूर्ण पड़ाव है। माता कात्यायनी की उपासना से जहाँ कन्याओं के विवाह संबंधी संकल्प पूर्ण होते हैं, वहीं साधकों को आध्यात्मिक उन्नति और आंतरिक शांति मिलती है। भारत के विभिन्न प्रदेशों में स्थित कात्यायनी मंदिर न केवल आस्था और श्रद्धा के केंद्र हैं, बल्कि भक्तों को दिव्य अनुभूति भी कराते हैं। अतः इस दिन श्रद्धापूर्वक विधि-विधान से माता का पूजन कर उनकी कृपा प्राप्त करनी चाहिए।