
लग्न राशि दोउ वृषभ गुरु कह के हरि चाल, भाद्र अष्टमी रोहिनी नक्षत्र जन्म समयु नंदलाल। अर्थात भगवान श्री कृष्ण के जन्म समय लग्न और राशि दोनों ही वृषभ थी। देवगुरु बृहस्पति सूर्य देव के साथ सिंह राशि में भ्रमण कर रहे थे, भादो मास में श्री कृष्ण पक्ष की अष्टमी की अर्ध रात्रि का समय था और रोहणी नक्षत्र था। श्री कृष्ण जन्म के समय टेढ़े ग्रह भी सौम्य हो गए थे। सभी दिशाएं प्रसन्न हो गई और निर्मल आकाश को उसके दीपन यानी तारों ने प्रकाशित बना दिया था। मथुरा, श्री कृष्ण की जन्मस्थली मथुरा मंगलमय हो गई थी। भक्त खुश होकर नाचने गाने लगे।
गजब कर डारो री या कारे कामर वाले ने ।
मथुरा में याने जन्म लियो है, गोकुल में बजे बधाओं री। या कारे कामर वाले नी।
श्री कृष्ण, कुशल प्रबंधक और संगठन कर्ता है। श्री राम में 14 कलाएं हैं एवं श्री कृष्ण में 16 कलाएं हैं, जैसे नृत्य एवं संगीत अलग है। श्री कृष्ण ने वृंदावन तथा मथुरा में अनेक बाल लीलाएं की, सभी लीलाएं प्रेम उपदेश, शिक्षा, शालीनता एवं मर्यादा पूर्ण है। वृंदावन को बृज का हृदय कहा जाता है। श्री कृष्ण ने वृंदावन तथा मथुरा में अनेक बाल लीलाएं की। वृंदावन, उत्तर प्रदेश मथुरा जिले में स्थित है, यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक एवं ऐतिहासिकता से जुड़ा शहर है। वृंदावन से मथुरा 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मथुरा का द्वारकाधीश मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। वृंदावन में इतने मंदिर हैं की गिनती करना असंभव है। श्री बांके बिहारी जी का मंदिर प्रसिद्ध मंदिर है। मेरा परिवार पाकिस्तान से सीधा वृंदावन आया था। वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में जन्माष्टमी का त्यौहार विशेष रूप से मनाया जाता है। मंदिर में बहुत भीड़ होती है क्योंकि जन्माष्टमी पर लोग दूर-दूर से आते हैं। भाव विभोर होकर सवेरे से रात 12:00 बजे तक भक्ति भावना से श्री कृष्ण के भजन एवं गीत गाते हैं। हम सब सहेलियां स्नान आदि से निवृत होकर सवेरे से निराहार मंदिर जाती, कृष्ण जन्म के बाद 12:00 बजे रात प्रसाद लेकर घर आती। बांके बिहारी मंदिर में फूलों से झूले एवं मंदिर की सजावट होती थी। लोग खुश होकर गाते थे।
झूला झूलत बिहारी यमुना तट पर मत जइयो रे अकेली कोई पनघट पर।
इत बांके बिहारी उत राधा प्यारी, जोड़ी लागे अति प्यारी बसे नैनन में । झूला…
विशेष बात यह है इस दृश्य को देखकर भक्त मंत्र मुक्त होकर भक्ति भाव से नाचते गाते अपने आप को ही भूल जाते थे। जन्म उत्सव के दूसरे दिन नन्द उत्सव मनाया जाता है, बधाइयां गाई जाती हैं। झूले में श्री कृष्ण भगवान जी को लिटाया जाता है, टोकरी में मिठाइयां फल फूल इत्यादि भरे रहते हैं। मंदिर के पुजारी फल फूल आदि भक्तों को लुटाते हैं। वृंदावन के पुजारी को वृंदावन में पंडा कहते हैं, पंडे एवं भक्तगण सब गाते हैं।
नंद के आनंद भयो जय कन्हैया लाल की
हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की।
गोवर्धन लीला
इंद्र ने इतना जल बरसाया कि यतिपुरा (गोवर्धन) जलमग्न हो गया, भगवान श्री कृष्ण ने पर्यावरण को बचाने की दृष्टि से पर्वत को छोटी उंगली पर उठा लिया और परोपकारी भाव से लोगों की रक्षा की। लोग खुश होकर गाने लगे।
श्री गोवर्धन महाराज महाराज तेरे माथे तिलक विराज रहो।
तेरी सात कोस की परिक्रमा चकलेश्वर है विश्राम विश्राम।
कालिया मर्दन
जमुना जी में नाग नागिनी रहते थे, पानी जहरीला हो गया था। श्री कृष्ण जी ने गेंद का खेल रचाकर कालिया मर्दन कर पानी को विश मुक्त कर लोगों को संकट से मुक्त कराया।
श्री कृष्ण का पराक्रम है। गोकुल के लोग खुश होकर गाने लगे,
काली देह पर खेलन आयो री मेरो बारों सो कन्हैया।
काहे की पट गेंद बनाई, काहे को बल्ला लाओ री मारो बारों सो कन्हैया।
माखन चोर लीला
माखन चोर लीला के बहाने श्री कृष्ण ने गांव की स्त्रियों को घर की देरी से बाहर लाकर उनके कार्य करने की दिशा बदली। कला, संगीत, नृत्य के माध्यम से सबको इकट्ठा करके माखन के बहने शिकवा शिकायत कर भक्ति भावना एवं प्रेम का संदेश दिया। यशोदा मैया श्री कृष्ण से कहती है
रे माखन की चोरी छोड़ कन्हैया, मैं समझाऊं तोए। बरसाने तेरी भई है सगाई, नित उठ चर्चा होय।
बड़े घराने की राजकुमारी नाम धरेगी तोए। माखन…
चीर हरण लीला
चीर हरण के बहाने श्री कृष्णा ने गोपियों को शिक्षा एवं उपदेश देते हैं की जमुना जल में ही नहीं किसी भी नदी में नग्न होकर नहीं नहाना चाहिए। श्री कृष्ण का प्रेम निश्चल है रागात्मक है, कृष्ण ऐसा व्यक्तित्व है, जो रण स्थल पर उपदेश दे और आज वह विश्व के महान ग्रंथों में गीता के नाम से गिना जाता है। श्री कृष्णा परिस्थितियों से देश काल और साज समाज के अनुसार लोगों से निपटने का अत्यंत कुशल नजरिया रखते हैं।
बोलो बांके बिहारी लाल की जय
लेखिका
श्रीमती हरवंश डांगे,
रिटायर्ड प्रिंसिपल भोपाल मध्यप्रदेश