June 16, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

अमीरी का दिखावा: ग़रीबी का छलावा

वास्तव में मेहनत करने वाले को,
दो जून रोटी मुश्किल से मिलती है,
भीख माँगने वालों को तो बेशुमार
दौलत बिना मेहनत किए मिलती है।

अमीरी का दिखावा तो ग़रीबों के
लिए हो जाता बस एक छलावा है,
शानो शौक़त की चमक धमक से,
दुनिया का इंसान कितना भरमाया है।

वर्तमान में दहेज का तो विरोध हर
तबका और हर व्यक्ति कर देता है,
पर बिन दहेज बेटी को बहू बनाकर,
विदा किया तो आजीवन का ताना है।

शादी का खर्च आज करोड़ों में,
अमीरी की झलक दिखाता है,
गरीब की बेटी को बस दो जोड़ी
कपड़े देना मुश्किल हो जाता है।

एक तरफ़ तो पैसे की चकाचौंध है,
दूसरी तरफ़ पेटभर खाना मुश्किल,
मृत्यु पर तेरह ब्राह्मण तेरहवीं भोज,
ज़रूरी है, सैंकड़ों को जिमाना है।

जीते जी जो पेट भर नहीं खा सके,
मर जाने पर इससे क्या मिलने वाला,
आत्मा शांत तभी होगी मरने वाले की,
जब उस घर का ना निकले दीवाला।

यह सारी कुरीतियाँ आज बदलनी हैं,
मानव की करनी उसके हित होनी है,
आदित्य समाज के लोगों को एकबार,
फिर मिल सारी रीतियाँ तय करनी है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ