भाटपार रानी देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
आश्विन शुक्ल प्रतिपदा 03 अक्टूबर गुरूवार को शारदीय नवरात्रि का शुभारम्भ हो रहा है। घट स्थापना देवी का आह्वान के लिए देवी पुराण एवं तिथि तत्व में प्रात: काल प्रतिपदा तिथि एवं द्वि-स्वभाव लग्न में घट स्थापना करना सर्वश्रेष्ठ बताया गया है तथा चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग को वर्जित बताया गया है।
03 अक्टूबर गुरूवार को सूर्योदय सुबह 6.24 बजे होगा एवं एकम तिथि अर्द्ध रात्रि बाद 26.58 बजे तक रहेगी, चित्रा नक्षत्र दोपहर 15-32 बजे के पश्चात है, वैधृति योग का सयोग अर्द्ध रात्रि बाद सूर्योदय पूर्व 04-23 से बना है ,
देवी पुराण में चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग इन दोनों के आदि के चरणों का त्याग कर घट स्थापना की अनुमति प्रदान की जाती है। अत: घट स्थापना हेतु सर्व श्रेष्ठ समय सुबह 06-24से 07-52बजे तक शुभ का चौघड़िया, अभिजित मुहुर्त दिन में 11.52 बजे से दोपहर 12.39बजे तक है। इस अवधि में धनु द्वि-स्वभाव लग्न 12-02 से दोपहर 14. 06बजे तक एवं अमृत के चौघडिय़ा में श्रेष्ठ रहेगा। चौघडिय़ा अनुसार चर का10=48 से 12=17 लाभ का दोपहर 12=17से 01=44तक अमृत का 01=44से 03.15 तक रहेगा।
इस वर्ष मा दुर्गा पालकी मे सवार हो कर आ रही है,इस बार नौ दिन के बजाय नवरात्रि दस दिन के 03 अक्टूबर गुरुवार से 12 अक्टूबर शनिवार तक होगे, इस बार 5अक्टूबर को तृतीय तिथि एवं 6अक्टूबर को सुबह 07=49बजे तक है इस वर्ष तृतीय तिथि दो दिन है इस वर्ष 12अक्टूबर को नवमीं सुबह 10=58बजे तक है। उपरान्त दशमी तिथि शुभारभ है अत नवमीं की पूजा एव विजय दशमी पर्व एक ही दिन 12अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा 10 अक्टूबर गुरूवार को सप्तमी दोपहर 12=32बजे तक है। उपरान्त अष्टमी तिथि शुभारम्भ है। जो11अक्टूबर शुक्रवार को दिन मे12=07बजे तक है। अत: 10अक्टूबर गुरूवार को अष्टमी पूजन रात्रि इसी दिन किया जायेगा
नवरात्रि में 5 अकटूबर से 8तक स्वार्थ सिद्धि योग,रवि योग अमृत योग का संयोग बनेगा, इसके बाद 11एव 12को भी यही योग बनेगा , जिसमें वाहन आभूषण सफेद वस्त्रों की खरीद व्यापार मशीनरी आदि नवीन कार्य शुभारम्भ कर सकते है।।
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