Wednesday, October 15, 2025
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बढ़ते स्क्रीन टाइम से किशोरों के स्वास्थ्य पर संकट, एम्स अध्ययन में बड़ा खुलासा; स्कूली पाठ्यक्रम में फिजियोथेरेपी जोड़ने की सिफारिश

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। आधुनिक जीवनशैली और बढ़ते स्क्रीन टाइम ने किशोरों के स्वास्थ्य को नई चुनौती दी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के संयुक्त दो वर्षीय अध्ययन में पाया गया है कि 15 से 18 वर्ष के बच्चों में मांसपेशियों और हड्डियों से जुड़ी समस्याएं तेजी से बढ़ रही हैं।

अध्ययन के चौंकाने वाले नतीजे

दिल्ली के दो निजी स्कूलों में 380 छात्रों पर रिसर्च की गई।

लंबे समय तक मोबाइल, कंप्यूटर और टैबलेट पर झुककर बैठने से बच्चों में पोस्चर विकार सामने आए।

आम शिकायतें – गर्दन और कंधे का दर्द, पीठ दर्द, हैमस्ट्रिंग की कठोरता, सपाट पैर और मांसपेशियों की जकड़न।

क्यों हो रही हैं दिक्कतें?

घंटों तक स्क्रीन पर झुककर बैठना

स्कूल में 6-7 घंटे लगातार बिना गतिविधि के बैठना

पारंपरिक आदतों से दूरी जैसे पालथी मारकर बैठना, फर्श पर खेलना, नंगे पैर चलना।

समाधान: फिजियोथेरेपी कोर्स में अनिवार्य

विशेषज्ञों का कहना है कि पारंपरिक शारीरिक गतिविधियां शरीर को लचीला रखती हैं। अध्ययन में समस्याग्रस्त छात्रों को 12 सप्ताह की फिजियोथेरेपी दी गई, जिसके बाद अगले 24 सप्ताह तक निगरानी की गई।

नतीजा – छात्रों में न केवल पोस्चर में सुधार देखा गया, बल्कि मांसपेशियों और हड्डियों की समस्याएं भी कम हुईं।

विशेषज्ञों की सिफारिश

स्कूली पाठ्यक्रम में फिजियोथेरेपी शामिल की जाए।खेल और गतिविधियों में बच्चों को सही प्रशिक्षण और चोट से बचाव सिखाया जाए।इससे किशोरों में मस्कुलोस्केलेटल स्वास्थ्य मजबूत होगा और भविष्य में गंभीर बीमारियों से बचाव होगा।

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