
गोमती सफाई घोटाले में सीएम कार्यालय सख्त, जांच रिपोर्ट तलब
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा) राजधानी लखनऊ की शान और जीवनदायिनी कही जाने वाली गोमती नदी की सफाई के नाम पर हो रहे घोटाले को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय ने सख्ती दिखानी शुरू कर दी है। गोमती सफाई के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हकीकत में यह काम महज कागजों पर ही होता दिख रहा है।
सूत्रों के अनुसार, गोमती की सफाई के लिए नगर निगम द्वारा 20 नावों और 50 नाविकों को तैनात दिखाया गया था, जबकि मौके पर ऐसा कुछ भी नहीं नजर आया। वास्तविक स्थिति की पड़ताल में यह साफ हुआ कि सफाई का कार्य सिर्फ फाइलों और रिपोर्टों तक ही सीमित है।
मुख्यमंत्री कार्यालय ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए प्रमुख सचिव संजय प्रसाद को निर्देश दिए हैं। इसके बाद प्रमुख सचिव ने लखनऊ नगर आयुक्त गौरव कुमार को पत्र लिखकर एक सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट तलब की है।
पत्र में प्रमुख सचिव ने स्पष्ट किया है कि यदि निर्धारित समय में रिपोर्ट नहीं आई, तो जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
गोमती की बिगड़ती हालत और कागजी सफाई की पोल खुलने के बाद नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे हैं। पर्यावरणविदों का कहना है कि यदि यही हाल रहा तो आने वाले समय में गोमती एक नाले में तब्दील हो जाएगी।
अब देखने वाली बात यह होगी कि नगर आयुक्त इस रिपोर्ट में क्या सफाई देते हैं और जांच के बाद घोटाले में कौन-कौन जिम्मेदार ठहराए जाते हैं।
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