कहा गया है सत्य बोलें, प्रिय बोलें,
अप्रिय हो जो वह सत्य नहीं बोलें,
जो प्रिय असत्य हो वह नहीं बोलें,
सनातन धर्म कहता है जो वही बोलें।
“स्वान्तः सुखाय” लिखते रहिए ,
जो उचित लगे वही बोलते रहिए,
जन हित का सदा ध्यान रखिये,
राष्ट्र हित का लक्ष्य महान रखिये।
संसार में जल, अन्न, सुभाषित
तीनों ही जीवन के आभूषण हैं,
फिर तो सभी मंगल ही मंगल हैं,
प्रभू कृपा से सभी राहें सरल हैं।
कभी आशा कभी निराशा है जिंदगी,
कभी तो खुशी का बग़ीचा है जिंदगी,
हंसता रुलाता हुआ राग है जिंदगी,
कड़वे मीठे स्वाद, एहसास जिंदगी।
अंत में कर्मो का हिसाब है जिंदगी,
अन्त में ही क्यों, शुरू से अन्त तक
अपने कर्मों का हिसाब है ज़िन्दगी,
जो भी है प्रभू की देन है ज़िन्दगी।
सुंदर हो न हो, सादगी होनी चाहिए,
खुशबू न हो, पर महक होनी चाहिए,
रिश्ता हो न हो, भावना होनी चाहिए,
उलझी सुलझे का यत्न होना चाहिए।
आदित्य सच्चे मन की अच्छाई कभी
भी व्यर्थ नहीं जाती है, ये वो पूजा है,
जिसकी खोज ईश्वर खुद करते हैं,
और ऐसे भक्त पर कृपा बरसाते हैं।
डॉ कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’