
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) ने एक बड़ा राजनीतिक फैसला लेते हुए पार्टी के तीन विधायकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। पार्टी ने इन विधायकों पर अनुशासनहीनता, पार्टी विरोधी गतिविधियों और सपा की विचारधारा के खिलाफ कार्य करने के गंभीर आरोप लगाए हैं।
पार्टी से निष्कासित किए गए विधायकों में राकेश प्रताप सिंह (गौरा – अयोध्या), अभय सिंह (गोसाईगंज – अयोध्या) और मनोज पांडेय (उपनेता विपक्ष व विधायक – उंचाहार, रायबरेली) शामिल हैं। इन तीनों नेताओं पर सांप्रदायिक ताकतों का समर्थन करने, किसान, महिला और युवा विरोधी नीतियों को बढ़ावा देने, और पार्टी के मंच तथा बाहर सार्वजनिक रूप से सपा नेतृत्व की नीतियों की आलोचना करने के आरोप लगाए गए हैं।
🔴 पार्टी ने क्या कहा?
सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल की ओर से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया है कि,
“पार्टी विरोधी गतिविधियों, अनुशासनहीनता और पार्टी के मूल विचारों के विरुद्ध कार्य करने के चलते तीन विधायकों को तत्काल प्रभाव से समाजवादी पार्टी से निष्कासित किया जाता है। इनकी गतिविधियाँ न केवल संगठन को नुकसान पहुंचा रही थीं, बल्कि भाजपा के एजेंडे को भी परोक्ष रूप से लाभ पहुँचा रही थीं।”
⚠️ किन आरोपों के कारण हुई कार्रवाई?
सांप्रदायिक राजनीति को समर्थन: पार्टी का कहना है कि ये विधायक भाजपा के सांप्रदायिक ऐजेंडे को मौन समर्थन दे रहे थे।
जनविरोधी नीतियों का साथ: किसान आंदोलन, महिला सुरक्षा, और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर पार्टी लाइन से अलग रुख अपनाया।
पार्टी मंच से भटकाव: मीडिया में पार्टी नेतृत्व की आलोचना और संगठनात्मक बैठकों से लगातार अनुपस्थिति।
🗳️ चुनाव से पहले सियासी रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह फैसला सपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत पार्टी नेतृत्व अपने संगठन को मज़बूत, अनुशासित और विचारधारा आधारित बनाना चाहता है। 2022 में सपा को मिली हार के बाद पार्टी ने स्पष्ट कर दिया था कि अब किसी भी तरह की ढिलाई बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
💬 विधायकों की प्रतिक्रिया का इंतजार
फिलहाल तीनों विधायकों की ओर से कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि सियासी हलकों में चर्चा है कि इनमें से कुछ विधायक भाजपा या किसी अन्य दल से नजदीकी बना सकते हैं, विशेषकर राकेश प्रताप सिंह जिनकी पहले भी भाजपा नेताओं के साथ मुलाकातें चर्चा में रही हैं।
🔍 राजनीतिक संदेश साफ
इस निर्णय के माध्यम से समाजवादी पार्टी ने अपने कार्यकर्ताओं और विपक्ष दोनों को स्पष्ट संदेश दे दिया है कि पार्टी लाइन से हटकर चलने वालों को अब कोई रियायत नहीं मिलेगी। यह कड़ा कदम संभावित ‘डैमेज कंट्रोल’ और संगठनात्मक मजबूती के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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