बचपन के मित्र हैं हम दोनों
एक साथ खेले और कूदे हैं,
साथ साथ पढ़े लिखे भी हैं,
साथ साथ ही बड़े भी हुये हैं।

इसीलिये शायद हम – आप
परम स्नेही मित्र बन सके हैं,
आत्मीयता के साथ साथ ही
हमारे मन आपस में मिलते हैं।

आप सनातन प्रेमी शिव सेवक,
मैं हूँ शिव-शिवा का परम भक्त,
हमारे निवास स्थान की दूरी भी,
हमको नहीं कर सकती विरक्त।

हम दोनों दूरी के मोहताज नहीं हैं,
मन से मन का मेल सदा से ही है,
आदित्य मित्रता प्रभू बनाये रखें,
ये विनती महादेव शिव जी से है।

डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’