November 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

स्मरण कर, उसका मनन कर

मौत शब्द सबको डराने वाला होता है,
जिसे सुनकर हर जीव काँप जाता है,
पर सत्य यह है कि जीतेजी जो कष्ट,
मिलता है, मृत्यु के बाद भूल जाता है।

अक्सर रिश्तों व परिवार के बारे में भी,
कुछ ऐसे ही भ्रम पैदा किये जाते हैं,
वस्तुस्थिति यह है कि समय आने पर
रिश्ते व परिवार साथ खड़े होते हैं।

जिस तरह एक पौधे से वृक्ष बन
जाने में बहुत दिन लग जाते हैं,
पर तूफ़ान का एक झटका उस
पेंड़ को धराशायी कर देता है।

एक दूसरे के प्रति विश्वास पनपने
में भी तो बहुत समय बीत जाता है,
परंतु हमारे मध्य विश्वास टूटने में
भी कोई समय ही नहीं लगता है।

मनुष्य के व्यक्तित्व को परिभाषित
करने के लिये दो बातें महत्वपूर्ण हैं,
हमारा धैर्य जब हमारे पास कुछ न हो,
और बर्ताव जब पास में सब कुछ हो।

धैर्य रख परमात्मा पर विश्वास रख,
जीवन व्यतीत हो रहा घड़ी घड़ी कर,
आदित्य अब समय ख़त्म हो रहा है,
ऐ मेरे मन स्मरण कर, भी मनन कर।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’