नई दिल्ली(राष्ट्र की परम्परा डेस्क) सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यकर्ताओं पर कथित रूप से आपत्तिजनक कार्टून सोशल मीडिया पर साझा करने के मामले में आरोपी कार्टूनिस्ट हेमंत मालवीय को बड़ी राहत दी है। अदालत ने उन्हें गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान किया है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने स्पष्ट किया कि यह संरक्षण इस शर्त पर दिया गया है कि मालवीय भविष्य में किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक पोस्ट सोशल मीडिया पर साझा नहीं करेंगे। यदि वे ऐसा करते हैं तो राज्य सरकार कानून के तहत उनके खिलाफ स्वतंत्र रूप से कार्रवाई कर सकती है।

पीठ ने मामले की सुनवाई के दौरान इंटरनेट और सोशल मीडिया पर बढ़ते अनियंत्रित और अमर्यादित भाषा के चलन पर चिंता व्यक्त की। अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “आजकल लोग किसी को भी कुछ भी कह देते हैं। सोशल मीडिया का स्तर बहुत गिर गया है।”

यह मामला तब प्रकाश में आया जब हेमंत मालवीय ने मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा 3 जुलाई को पारित उस आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी, जिसमें उन्हें अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। मालवीय के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

अदालत ने मामले की अगली सुनवाई तक राज्य सरकार को उनके खिलाफ कोई कठोर कदम न उठाने का निर्देश देते हुए अंतरिम राहत दी है।
हेमंत मालवीय पर आरोप है कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस कार्यकर्ताओं को लेकर आपत्तिजनक कार्टून और टिप्पणियां सोशल मीडिया पर साझा कीं, जिन्हें लेकर राज्य पुलिस ने मामला दर्ज किया।

यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और उसकी सीमाओं को लेकर एक बार फिर बहस के केंद्र में आ गया है। अदालत का यह आदेश एक महत्वपूर्ण मिसाल के रूप में देखा जा रहा है जिसमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार और समाज में मर्यादा बनाए रखने की आवश्यकता के बीच संतुलन स्थापित करने की कोशिश की गई है।