शास्त्रों में वर्णित मंत्र-चिकित्सा और सकारात्मक ऊर्जा का वैज्ञानिक आधार
भारतीय सनातन परंपरा में मंत्र-चिकित्सा (Mantra Healing) का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। प्राचीन ग्रंथों—ऋग्वेद, अथर्ववेद, यजुर्वेद, चरक संहिता, महाभारत और पुराणों में मंत्रों की शक्ति, ध्वनि तरंगों के प्रभाव और उनके चिकित्सा-संबंधी लाभों का विस्तृत उल्लेख मिलता है।
आज के समय में भी मनोवैज्ञानिक व आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञ यह स्वीकार करते हैं कि मंत्रोच्चारण से उत्पन्न कंपन शरीर, मन और तंत्रिका तंत्र पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, जिससे स्वास्थ्य सुधार की गति तेज हो सकती है।
यह लेख बताता है कि किस स्वास्थ्य समस्या में कौन-सा शास्त्रोक्त मंत्र जपना लाभकारी माना गया है, और कैसे यह मानसिक, आध्यात्मिक व शारीरिक स्वास्थ्य को संतुलित करता है।
● शास्त्रीय आधार: मंत्र क्यों प्रभावी माने जाते हैं?
मंत्र ध्वनि-ऊर्जा का विज्ञान है।
वेदों में ‘ध्वनि ही शक्ति है’ का सिद्धांत मिलता है।
जब कोई मंत्र सही उच्चारण के साथ जपा जाता है, तब उससे उत्पन्न सकारात्मक तरंगें शरीर के सूक्ष्म नाड़ियों (Ida, Pingala, Sushumna) को सक्रिय करती हैं।
● तनाव घटता है।
● रक्तचाप नियंत्रित होता है।
● नींद सुधरती है।
● प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है।
● मन शांत होकर उपचार क्षमता बढ़ाता है।
अब जानते हैं विशेष स्वास्थ्य समस्याओं के अनुसार कौन-सा मंत्र प्रभावी माना गया है।
बीमारी-विशेष मंत्र और उनके लाभ
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- बुखार, वायरल संक्रमण, कमजोरी
🔸 महामृत्युंजय मंत्र
“ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥”
शिवपुराण और रुद्राध्याय के अनुसार यह मंत्र रोगों, बुखार, विपत्ति और जीवन संकटों से रक्षा करता है।
● वायरल संक्रमण में मानसिक भय को दूर करता है।
● शरीर की उपचार क्षमता बढ़ाता है।
● रोग से शीघ्र मुक्ति की ऊर्जा प्रदान करता है।
जप संख्या: 108 बार रोज या 5 माला - मानसिक तनाव, अनिद्रा, अवसाद
🔸 गायत्री मंत्र
“ॐ भूमिर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं…।”
गायत्री मंत्र को ‘ब्रह्मतेज मंत्र’ कहा गया है।
● मस्तिष्क की शुद्धि।
● मानसिक तनाव का निवारण।
● नींद की गुणवत्ता में सुधार।
● मनोबल बढ़ाता है।
जप संख्या: प्रातः 108 बार - हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, चिंता
🔸 हनुमान चालीसा / हनुमान बीज मंत्र
“ॐ हं हनुमते नमः।”
हनुमान जी का स्मरण शरीर में स्थिरता व साहस बढ़ाता है।
● धड़कन स्थिर करने में सहायता
● बीपी सामान्य करने वाला प्रभाव
● चिंता व भय से मुक्ति
जप संख्या: 21 या 108 बार - यकृत (लीवर) और पाचन संबंधी रोग
🔸 विष्णु सहस्रनाम
विष्णु सहस्रनाम को ‘आरोग्य का महामंत्र’ माना गया है।
● पाचन-संस्थान को संतुलित करता है
● लीवर को ऊर्जा प्रदान करता है
● पित्त विकार के लिए लाभकारी - त्वचा रोग, एलर्जी, पुराने घाव
🔸 दुर्गा सप्तशती के मंत्र
विशेषकर — “ॐ दुं दुर्गायै नमः।”
● शरीर से नकारात्मक ऊर्जा दूर करता है
● त्वचा की सूजन शांत करता है
● रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत - अस्थमा, श्वास संबंधी समस्याएँ
🔸 राम नाम मंत्र
“ॐ श्री रामाय नमः”
● फेफड़ों की ऊर्जा बढ़ाता है
● सांस की गति को नियंत्रित करता है
● मन और शरीर को शांत कर श्वास मार्ग खोलता है - गंभीर रोग, ऑपरेशन के पहले-बाद
🔸 दैवीय मंत्र—“नरसिंह कवच”
शास्त्र कहते हैं कि यह कवच व्यक्ति को भय, पीड़ा, नकारात्मकता व रोग-संकटों से बचाता है।
मंत्र जप के समय ध्यान रखने योग्य बातें
✔ मंत्र शुद्ध भाव, शुद्ध उच्चारण और शांत स्थान में जपें
✔ सुबह-शाम नियमितता रखें
✔ जप के समय दीपक या अग्नि का होना श्रेष्ठ
✔ बीमार व्यक्ति स्वयं जप न कर सके तो परिवार का कोई सदस्य कर सकता है
✔ मंत्र चिकित्सा चिकित्सकीय उपचार का विकल्प नहीं, बल्कि सहयोगी शक्ति है।
शास्त्रों में मंत्रों को “औषध से अधिक प्रभावी मनोदैहिक चिकित्सा” कहा गया है।
अगर चिकित्सा के साथ मंत्रजप भी जोड़ा जाए, तो यह बीमारी में राहत, मानसिक शक्ति, आत्मविश्वास और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान कर सकता है।
इसलिए, मंत्र न केवल आध्यात्मिक साधना हैं, बल्कि शरीर-मन को स्वास्थ्य और शांति की दिशा में ले जाने वाली दिव्य प्रक्रिया भी हैं।
इस मंत्र जप से बीमारी ठीक हो जाएगी इसकी दावा RKPnews नहीं करता किसी योग्य पंडित या डाक्टर से सलाह जरुर ले।
