October 22, 2024

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

प्रतिक्रिया पर प्रतिक्रिया

सम्भव को सम्भव करना
असम्भव तो होता नहीं है,
किसी बात पर भी कविता
लिखना मुश्किल नहीं है।

कविता तो वास्तविकता
के ऊपर आधारित होती है,
वास्तविकता नहीं हो तो भी
कल्पना पर आधारित होती है।

लाल हरी पीली पोस्ट और कुछ नहीं,
केवल आपकी रचनाओं के असर हैं,
पहले कुछ नहीं लिखता था पर रोज,
आपको पढ़ने पर ही मेरे ये विचार हैं।

सत्य कहता हूँ कि कविताओं में जो
आप कहना चाहते हैं, हम उनसे सीखें
तो हमारी सोच में भी परिवर्तन होंगे,
और समाज में निश्चित सुधार होंगे।

पर देखता हूँ कि अधिकतर पाठक तो,
आपका शुक्रिया सुनने तक सीमित हैं,
दो दिन बाद कविता में प्रकट आपके,
भावों को भी, कोई नहीं बता पाते हैं।

हाँ, लेकिन मेरी लाल पीली पोस्ट में
आपकी ही कोई कविता छुपी होती है,
“नेकी कर दरिया में डाल” सिदा्न्त
पर चलो, प्रशंसा उसमें छिपी होती है।

कविता रचना में बहुत अच्छा लेखन है,
उससे लोगों की सोच भी बदल रही है,
समाज को आपकी बहुत बड़ी देन है,
आदित्य इस प्रतिक्रिया को नमन है।

  • कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’