Tuesday, October 14, 2025
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Rapid Action Force (RAF): संवेदनशील पुलिसिंग की सशक्त पहचान

“Serving Humanity with Sensitive Policing” — मानवता की सेवा, तत्परता और अनुशासन का प्रतीक बल

जब भी देश में भीड़ नियंत्रण, दंगे या किसी आकस्मिक सामाजिक तनाव की स्थिति उत्पन्न होती है, तो सबसे पहले जिस नाम पर भरोसा किया जाता है, वह है — Rapid Action Force (RAF)।
यह केवल एक बल नहीं, बल्कि संवेदनशीलता और अनुशासन की मिसाल है, जो “मानवता की सेवा” के अपने आदर्श वाक्य को हर मिशन में साकार करती है।
भारत के गृह मंत्रालय के अधीन केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (CRPF) की यह विशेष इकाई, भीड़ नियंत्रण, साम्प्रदायिक दंगे, बचाव और राहत कार्यों में अपनी त्वरित प्रतिक्रिया और अनुशासित कार्यशैली के लिए जानी जाती है।

Rapid Action Force का गठन भारत सरकार द्वारा 11 दिसंबर 1991 को किया गया था।
इसका उद्देश्य था — देशभर में बढ़ती भीड़ नियंत्रण और साम्प्रदायिक तनाव की घटनाओं में पेशेवर, संवेदनशील और शीघ्र प्रतिक्रिया देने वाली इकाई का गठन।

हालाँकि, RAF ने अपने पहले ऑपरेशन की शुरुआत 7 अक्टूबर 1992 को की, और यही तिथि अब इसका स्थापना दिवस (Day) मानी जाती है।
यह दिन उस प्रतिबद्धता का प्रतीक है, जब भारत ने एक ऐसी बल को जन्म दिया जो “कानून व्यवस्था और मानवीय संवेदनशीलता” के बीच संतुलन स्थापित करने का कार्य करती है।

7 अक्टूबर 2003 को Rapid Action Force को President’s Colour (राष्ट्रपति का सम्मान) प्रदान किया गया — जो किसी भी सैन्य या अर्धसैनिक बल के लिए सर्वोच्च गौरव का प्रतीक होता है।
यह सम्मान RAF को उसके अद्वितीय योगदान, अनुशासन और नागरिक सुरक्षा में असाधारण सेवा के लिए दिया गया।
🔹 संगठनात्मक ढांचा
Rapid Action Force, CRPF की एक विशेष इकाई है, जिसके अंतर्गत वर्तमान में 15 बटालियनें कार्यरत हैं।
प्रत्येक बटालियन की कमान एक कमांडेंट के पास होती है।
हर बटालियन को रणनीतिक रूप से देश के विभिन्न राज्यों और प्रमुख शहरों में तैनात किया गया है, ताकि किसी भी क्षेत्र में संकट की स्थिति उत्पन्न होने पर “Zero-Response Time” में सहायता दी जा सके।

हर कंपनी में विशेष रूप से प्रशिक्षित टीमें होती हैं:
Riot Control Team (दंगा नियंत्रण इकाई)
Tear Gas Unit (आंसू गैस इकाई)
Fire Element (अग्निशमन एवं सुरक्षा दल)
इनके अतिरिक्त, हर बटालियन में एक महिला कंपनी शामिल की गई है — जो RAF की संवेदनशील पुलिसिंग की अवधारणा को सशक्त बनाती है।
महिला कर्मियों की यह उपस्थिति महिला प्रदर्शनकारियों या भीड़ से जुड़े संवेदनशील मामलों में मानवता और समझदारी के साथ हस्तक्षेप सुनिश्चित करती है।
🔹 कार्य क्षेत्र एवं ज़िम्मेदारियाँ
RAF का प्रमुख मिशन है —
“Serving Humanity with Sensitive Policing”
(संवेदनशील पुलिसिंग के माध्यम से मानव सेवा)
यह बल हमेशा Zero-Response Force के रूप में तैयार रहता है।
इसकी प्रमुख जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
दंगे, साम्प्रदायिक झगड़े या भीड़ नियंत्रण
संवेदनशील इलाकों में कानून व्यवस्था बनाए रखना
प्राकृतिक आपदाओं में राहत और बचाव कार्य
बड़े राजनीतिक, धार्मिक या खेल आयोजनों में सुरक्षा
चुनावी प्रक्रिया के दौरान शांति और निष्पक्षता बनाए रखना
अंतरराष्ट्रीय मिशनों में भारत का प्रतिनिधित्व
🔹 राष्ट्रीय सेवा में RAF की भूमिका
RAF ने पिछले तीन दशकों में अनगिनत परिस्थितियों में देश की शांति और सुरक्षा बनाए रखने में अहम योगदान दिया है।
चाहे वह 1992 का अयोध्या आंदोलन हो, 2002 का गुजरात दंगा, 2013 का मुजफ्फरनगर दंगा या 2020 के दिल्ली दंगे — हर जगह RAF ने संवेदनशीलता और अनुशासन के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई।
2008 के मुंबई आतंकी हमलों के दौरान भी RAF ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई — ‘ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट’ और अन्य इलाकों में सुरक्षा घेरा बनाकर नागरिकों को सुरक्षित निकाला।
2001 में संसद हमले के दौरान RAF की महिला सदस्य कमलेश कुमारी ने असाधारण साहस का परिचय दिया।
उन्हें देश के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र से सम्मानित किया गया — जो RAF के साहस और त्याग का प्रतीक है।
🔹 अंतरराष्ट्रीय मंच पर RAF
RAF ने न केवल देश में बल्कि विश्व स्तर पर भी भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई है।
संयुक्त राष्ट्र (UN) के Peacekeeping Missions में RAF के कई सदस्य सक्रिय रूप से भाग ले चुके हैं —
विशेष रूप से हैती, सोमालिया, लाइबेरिया और दक्षिण सूडान में RAF ने “भारतीय ब्लू हेलमेट्स” के रूप में शांति स्थापना में योगदान दिया।
सामाजिक संवेदनशीलता और मानवीय दृष्टिकोण
RAF को अन्य बलों से अलग पहचान उसकी मानवीय दृष्टि और संवेदनशीलता देती है।
यह बल Non-Lethal Methods (अघातक उपायों) को प्राथमिकता देता है, जिससे किसी भी ऑपरेशन में नागरिकों को न्यूनतम हानि हो।
दंगे नियंत्रण के दौरान RAF “मोबाइल वॉटर कैनन, टियर गैस, रबर बुलेट्स और साउंड ग्रेनेड्स” का प्रयोग करती है — ताकि कानून व्यवस्था बहाल हो, लेकिन मानवता पर आंच न आए।
RAF की महिला टीमें “Gender Sensitivity” की उत्कृष्ट मिसाल हैं — जो महिलाओं और बच्चों से जुड़े संकटों में कोमलता और संवेदनशीलता के साथ हस्तक्षेप करती हैं।
चुनौतियाँ और सुधार की दिशा
यद्यपि RAF ने अपनी कार्यकुशलता से विश्व स्तर पर पहचान बनाई है, फिर भी कई चुनौतियाँ इसके सामने हैं:
संसाधनों की सीमाएँ:
आधुनिक दंगा नियंत्रण तकनीक और उपकरणों की कमी, प्रशिक्षण संसाधनों में असमानता जैसी चुनौतियाँ अब भी हैं।
केंद्र और राज्य समन्वय:
कई बार राज्यों और केंद्र सरकार के बीच तैनाती अनुमोदन या लॉजिस्टिक समर्थन में विलंब हो जाता है, जिससे प्रतिक्रिया समय प्रभावित होता है।
मानसिक तनाव और कार्यभार:
निरंतर तनावपूर्ण वातावरण में कार्य करने के कारण कर्मियों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी प्रभाव पड़ता है।
आधुनिक उपकरणों की आवश्यकता:
ड्रोन सर्विलांस, डेटा एनालिटिक्स और डिजिटल कम्युनिकेशन सिस्टम जैसी तकनीकों का समावेश और अधिक आवश्यक है।
इन चुनौतियों के बावजूद RAF ने अपने मूल उद्देश्य “संवेदनशील पुलिसिंग” को बनाए रखा है और हर परिस्थिति में अपने कर्तव्यों का निर्वहन सर्वोत्तम ढंग से किया है।
त्वरित कार्रवाई से विश्वास की नींव तक
Rapid Action Force (RAF) आज भारत की “शांति और मानवता की प्रहरी” बन चुकी है।
इसकी नीली वर्दी केवल अनुशासन का प्रतीक नहीं, बल्कि विश्वास और सुरक्षा का प्रतीक भी है।
7 अक्टूबर को जब देश RAF का स्थापना दिवस मनाता है, तो यह दिन उस “अनुशासन, संवेदनशीलता और समर्पण” को सलाम करने का अवसर होता है, जिसने भारत में आधुनिक कानून व्यवस्था को नई दिशा दी।
RAF ने यह सिद्ध कर दिया है कि—
“बल का प्रयोग तभी सार्थक है, जब वह मानवता की रक्षा में हो।”

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