Tuesday, October 14, 2025
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रमेश जी और प्रो. पूनम टंडन ने पं. दीनदयाल उपाध्याय के जीवन से मानसिक दृढ़ता और राष्ट्र सेवा की सीख दी

गोरखपुर(राष्ट्र की परम्परा)। दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की जयंती की पूर्व संध्या पर वैचारिक गोष्ठी आयोजित की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने की, जबकि मुख्य वक्ता के रूप में गोरक्ष प्रांत के प्रांत प्रचारक रमेश जी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीनदयाल जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि के साथ हुआ। निदेशक प्रो. सुषमा पाण्डेय ने अतिथियों का स्वागत किया और डॉ. शैलेश सिंह ने विषय प्रवर्तन किया।
मुख्य वक्ता रमेश जी ने पंडित दीनदयाल जी के व्यक्तिगत जीवन की कठिन परिस्थितियों का उल्लेख करते हुए बताया कि प्रारंभिक जीवन में माता-पिता और परिजनों को खोने के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा कि शिक्षा को सर्वोपरि मानते हुए दीनदयाल जी ने राष्ट्रहित को जीवन का लक्ष्य बनाया और “भाषा, भूषा, भोजन, भजन और भ्रमण” के माध्यम से समाज और राष्ट्र निर्माण का सूत्र प्रस्तुत किया।
कुलपति प्रो. पूनम टंडन ने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि दीनदयाल जी का जीवन छात्रों के लिए मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक दृढ़ता का प्रेरक उदाहरण है। उन्होंने बताया कि आज संसाधनों के बावजूद छात्र-छात्राएँ मानसिक रूप से कमजोर हो जाते हैं, जबकि दीनदयाल जी अनाथ और सीमित संसाधनों में भी अद्भुत क्षमता के धनी रहे।
गोष्ठी का संचालन प्रो. शरद मिश्रा ने किया। इस अवसर पर आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाणपत्र और पदक प्रदान किए गए। अंत में आभार ज्ञापन डॉ. अमित उपाध्याय ने किया।


कार्यक्रम में प्रो. विनोद सिंह, प्रो. विजय चहल, प्रो. प्रत्युष दुबे, डॉ. अमोद कुमार राय, डॉ. राजेश कुमार सिंह, डॉ. दुर्गेश पाल, डॉ. मनीष पांडे, डॉ. मुकेश सिंह, डॉ. मीतू सिंह, डॉ. सर्वेश कुमार, डॉ. गौरव सिंह, ज्योति बाला, डॉ. अर्जुन सोनकर, डॉ. हर्षदेव वर्मा, डॉ. रजनीश श्रीवास्तव, डॉ. अनुपम सिंह, डॉ. अभिषेक सिंह समेत अनेक शिक्षक व शोधार्थी उपस्थित रहे।

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