August 7, 2025

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विपक्षी एकता की दिशा में राहुल गांधी की बड़ी पहल, 5 सुनहरी बाग पर डिनर डिप्लोमेसी


अखिलेश यादव से लेकर तेजस्वी, उद्धव, अभिषेक तक विपक्ष के कई बड़े चेहरे हुए आमंत्रित

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और रायबरेली से सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली स्थित अपने सरकारी आवास 5, सुनहरी बाग पर विपक्षी दलों के प्रमुख नेताओं के लिए एक महत्वपूर्ण डिनर मीटिंग का आयोजन किया। इसे इंडिया अलायंस के भीतर समन्वय और संवाद को फिर से जीवंत करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।

इस डिनर डिप्लोमेसी के जरिए राहुल गांधी ने न केवल विपक्षी दलों को एकजुट करने की पहल की, बल्कि आगामी राजनीतिक चुनौतियों पर साझा रणनीति तैयार करने की दिशा में एक ठोस कदम भी बढ़ाया है। खास बात यह रही कि इस डिनर में उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिहाज से बेहद अहम माने जा रहे समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल हुए। राजनीतिक हलकों में इसे विपक्षी एकता की नई पटकथा की शुरुआत माना जा रहा है।

सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में लोकसभा में उठे ‘स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR)’, उपराष्ट्रपति चुनाव, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ, और अन्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार मसलों पर चर्चा संभव है। विपक्ष इन मुद्दों पर साझा रणनीति बनाकर सरकार को संसद और सड़क—दोनों स्तरों पर घेरने की तैयारी कर रहा है।

राहुल गांधी की ओर से डिनर के लिए विपक्ष के कई दिग्गज नेताओं को आमंत्रित किया गया, जिनमें प्रमुख नाम हैं—अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी) तेजस्वी यादव (राजद) उद्धव ठाकरे (शिवसेना – उद्धव गुट) अभिषेक बनर्जी (टीएमसी) डी. राजा (सीपीआई) दीपांकर भट्टाचार्य (सीपीआईएमएल) एम.ए. बेबी (सीपीआईएम) कनिमोझी (डीएमके) महुआ माझी (जेएमएम) जोस के मानी (केरल कांग्रेस) पीके कुंजालिकुट्टी (आईयूएमएल) एमके प्रेमचंद्रन (आरएसपी) इन सभी नेताओं की संभावित उपस्थिति इस डिनर को एक मजबूत और समन्वित विपक्षी प्रदर्शन का प्रतीक बना रही है।

अखिलेश यादव की इस बैठक में भागीदारी को उत्तर प्रदेश की राजनीति में विपक्षी लामबंदी का मजबूत संकेत माना जा रहा है। 2027 में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर, यह बैठक एक प्रारंभिक रणनीतिक विचार-विमर्श के रूप में देखी जा रही है। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन ने राज्य में भाजपा को मजबूत चुनौती दी थी। अब यदि यही गठबंधन विधानसभा चुनाव में दोहराया गया, तो भाजपा के लिए सत्ता बचाना कठिन हो सकता है।

राजनीतिक विशेषज्ञ इस डिनर को सिर्फ एक औपचारिक मिलन नहीं, बल्कि आगामी चुनावों की रणनीति का ट्रेलर बता रहे हैं। राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की सक्रियता और अखिलेश यादव की भागीदारी से यह स्पष्ट है कि विपक्ष उत्तर प्रदेश सहित राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के खिलाफ एकजुट मोर्चा बनाने के लिए गंभीर प्रयास कर रहा है।

राहुल गांधी का यह डिनर आयोजन न केवल इंडिया अलायंस में नई ऊर्जा का संचार है, बल्कि यह आने वाले वर्षों की चुनावी राजनीति की नई दिशा को भी दर्शाता है। विपक्ष की यह एकजुटता यदि ज़मीनी स्तर पर भी कायम रही, तो देश की राजनीतिक तस्वीर में बड़ा बदलाव संभव है।