Tuesday, October 28, 2025
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600 युवा वैज्ञानिकों के साथ उड़ान भरेगा पूर्वांचल का सपना

🌠 देवरिया-कुशीनगर के बच्चों में अंतरिक्ष का जुनून: नारायणी तट पर रॉकेट लांच पैड ने जगाई विज्ञान की लौ


IN-SPACe प्रतियोगिता 2024-25 से जगी वैज्ञानिक बनने की ललक, STEM शिक्षा को लेकर छात्रों में जबरदस्त उत्साह

कुशीनगर (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)।देवरिया लोकसभा क्षेत्र के तमकुहीराज में इन दिनों माहौल कुछ बदला-बदला है — गलियों में क्रिकेट की चर्चा नहीं, बल्कि रॉकेट और स्पेस साइंस के सपने हैं। नारायणी नदी के तट पर बन रहा मॉडल रॉकेट्री लांच पैड स्थानीय युवाओं के भीतर विज्ञान और नवाचार की नई ऊर्जा जगा रहा है।
यह सब संभव हुआ है सांसद शशांक मणि की ‘अमृत प्रयास’ पहल के तहत हो रहे IN-SPACe Model Rocketry / CanSat India Student Competition 2024-25 से, जिसने देवरिया-कुशीनगर क्षेत्र को पहली बार राष्ट्रीय वैज्ञानिक नक्शे पर लाकर खड़ा कर दिया है।

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देशभर से आने वाले 600 युवा वैज्ञानिकों और 120 वरिष्ठ वैज्ञानिकों के स्वागत की तैयारियों के बीच, स्थानीय स्कूलों के बच्चे रोज़ आयोजन स्थल पहुंचकर लांच पैड, कमांड सेंटर और साइंस गैलरी को देखकर रोमांचित हो रहे हैं। उनके लिए यह सिर्फ एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि ‘विकसित भारत @2047’ मिशन की जीवंत शुरुआत है।

🚀 गांव में रॉकेट, बच्चों में विज्ञान की उड़ान
लांच पैड से लगभग एक किलोमीटर दूर बनाया गया कमांड सेंटर छात्रों के लिए किसी फिल्मी दृश्य से कम नहीं।
12वीं के छात्र रोहित कुशवाहा ने कहा,
“हम साइंस फिक्शन फिल्मों में रॉकेट देखते थे, पर अब अपने घर के पास लांच पैड बन रहा है। अब हमें विज्ञान और इंजीनियरिंग में करियर बनाना सही लगने लगा है।”
वहीं छात्र गुड्डू यादव बोले,

“यह हमारे लिए जीवन का सबसे बड़ा मौका है। अब हमें डेटा एनालिटिक्स और स्पेस-टेक्नोलॉजी में करियर दिखने लगा है।”
10वीं के छात्र शाहिल चौहान कहते हैं,
“हमारे क्षेत्र में इतना बड़ा वैज्ञानिक आयोजन होना किसी सपने से कम नहीं। अब विज्ञान पढ़ना मजेदार हो गया है।”

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🛰️ साइंस म्यूजियम गैलरी बनेगी आकर्षण का केंद्र
आयोजन स्थल पर आर्ट एंड स्पेस गैलरी भी तैयार हो रही है, जो एक छोटे साइंस म्यूजियम की तरह काम करेगी।
यहां उत्तर प्रदेश के 8 जिलों से आने वाले ‘आर्ट एंड स्पेस कंप्टीशन’ के विजेता छात्र अंतरिक्ष जैसी रोशनी और ध्वनि से बने दृश्यों का अनुभव करेंगे। इससे स्थानीय बच्चों में यह विश्वास बढ़ा है कि विज्ञान अब दूर नहीं, उनके गांव तक पहुंच चुका है।
🔭 शिक्षाविद बोले — STEM शिक्षा की नई दिशा
शिक्षाविदों के अनुसार, यह आयोजन बच्चों में STEM (Science, Technology, Engineering, Mathematics) विषयों के प्रति झुकाव बढ़ाएगा। अब छात्र समझने लगे हैं कि अंतरिक्ष तकनीक का उपयोग सिर्फ रॉकेट तक सीमित नहीं, बल्कि यह कृषि, मौसम पूर्वानुमान, डेटा एनालिटिक्स और संचार तकनीक तक फैला है।
सांसद शशांक मणि ने कहा — “देवरिया-कुशीनगर की पहचान अब केवल एक जिला नहीं, बल्कि विज्ञान और अंतरिक्ष नवाचार की धरती के रूप में होगी।”

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⚙️लांच पैड का निर्माण कार्य पूरा।
रॉकेट असेम्बली अंतिम चरण में।
जर्मन हेंगर टेंट में मुख्य स्टेज तैयार।
आर्ट एंड स्पेस गैलरी में उपकरण इंस्टॉल हो रहे हैं।
वरिष्ठ वैज्ञानिकों की टीम कुशीनगर पहुंच चुकी है और स्थानीय होटलों में ठहरी है।

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🧭 तमकुहीराज में होने वाला यह आयोजन न सिर्फ एक तकनीकी प्रयोग है, बल्कि पूर्वांचल के युवाओं के सपनों को नई दिशा देने वाला आंदोलन बन चुका है। देवरिया और कुशीनगर की यह धरती अब केवल खेती के लिए नहीं, बल्कि आकाश को छूने के सपनों के लिए भी जानी जाएगी।

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