December 18, 2024

राष्ट्र की परम्परा

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विश्व नदी दिवस पर लोक दायित्व संस्था ने किया आयोजित

“हमारी नदियां, हमारी संस्कृति” विषयक अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार सम्पन्न

संत कबीर नगर (राष्ट्र की परम्परा)। विश्व नदी दिवस के अवसर पर ‘लोक दायित्व’ के तत्वावधान में “हमारी नदियां, हमारी संस्कृति” विषयक एक अंतरराष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमे देश के विभिन्न प्रांतों सहित नेपाल, भूटान व अन्य देशों से भी नदी व पर्यावरण पर कार्य करने वालों ने भाग लिया।
वेबिनॉर का विषय प्रवर्तन करते हुए मूल सरयू बचाओ अभियान के संयोजक पवन कुमार सिंह ने कहा कि नदियो को बचाने के लिए हमें एक हाथ में अपने परंपरागत ज्ञान और दुसरे में आधुनिक विज्ञान को लेकर चलना होगा। यह समस्या आज की नहीं है, वैदिक काल के ऋषियों से लेकर आज तक के ऋषियों की चिंता का विषय हैं नदियां।
वेबिनॉर के मुख्य वक्ता राजर्षि गांगेय हंस ने वैदिक काल से लेकर वर्तमान तक नदियों की समस्या तथा समाधान पर प्रकाश डाला। श्री हंस ने कहा कि वैदिक काल में नदियों के प्रवाह को रोकने वाला असुर कहा गया। भारतीय संस्कृति नदियों की संस्कृति रही है। वैदिक सभ्यता नदियों के किनारे ही पुष्पित-पल्लवित हुई है।
कार्यक्रम में विशेषज्ञ अतिथि भूगर्भशास्त्री डॉ० प्रफुल्ल सिंह ने कहा कि आज भूजल स्तर नीचे गिर रहा है, जिसका प्रमुख कारण भूजल भरण में आ रही कमी है। पर्याप्त मात्रा में जल भरण नही हो पाने से भूजल केंद्र बिखर जा रहे हैं। मूल सरयू बचाओ अभियान के माध्यम से फिर से लोक जुड़ाव के सिलसिले को आगे बढ़ाना है।
नेपाल से जुड़े विशिष्ट अतिथि विक्रम यादव, संयोजक कमला बचाओ अभियान ने नेपाल की कमला नदी के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि नदिया और संस्कृति भारत और नेपाल की एक ही है।
वेबिनॉर की अध्यक्षता करते हुए डॉ० दुर्गा प्रसाद अस्थाना ने कहा कि जल ही जीवन है। आजमगढ़ की नदियों पर लोक दायित्व के नेतृत्व में चल रहा शोध कार्य आने वाले समय में छोटी नदियों के लिए वरदान साबित होगा।
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० दिग्विजय सिंह राठौर ने अपने संबोधन में कहा कि नदियों को सूखने से बचाने के लिए समाज को आगे आना होगा।
आभासी पटल पर उपस्थित सभी का स्वागत करते लोक दायित्व के प्रदेश अध्यक्ष डॉ० संजय सिंह ने ‘लोक दायित्व’ द्वारा नदियों और पर्यावरण पर किये जा रहे कार्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला।
वेबिनॉर की अध्यक्षता डॉ० दुर्गा प्रसाद अस्थाना, पूर्व प्राचार्य माल टारी और संचालन डॉ० घनश्याम दूबे, असिस्टेंट प्रोफेसर, डीसीएसके, मऊ ने किया तथा तकनीकी सहयोग डॉ० शशांक पांडेय एवं दिवाकर मौर्य का रहा। धन्यवाद व आभार ज्ञापन डा०अखिलेश तिवारी प्राचार्य केशव माधव बैजनाथ पीजी कॉलेज मऊ ने किया।
वेबिनॉर में डॉ०विजय, डा० संतन गाजीपुर, डा० प्रदीप राय, मलतारी, मनोज सिंह अधिवक्ता, भारत तिब्बत समन्वय संघ गोरक्ष प्रांत के सह संयोजक (प्रचार व आईटी प्रभाग) नवनीत मिश्र, राजदेव चौहान, रुद्रप्रताप सिंह, उर्वशी क्षेत्रीय, रजत गौतम हिमांचल प्रदेश, कृष्ण कुमार मधुकर, कंचन यादव, स्वपनिल, ठाकुर कुश, सर्वजीत, शिव प्रताप, बिरजेश, विजय, संतोष, प्रमोद मिश्रा, महर्षि पांडे, डा० विद्यानाथ झा, अविष्कार, अरुण सिंह, अखिलेश कोहली, अमलेश सहित विभिन्न स्थानों से सैकड़ो लोग जुड़े रहे।