
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत को उनके 75वें जन्मदिन पर बधाई दी और उन्हें एक ऐसे नेता के रूप में बताया, जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सामाजिक परिवर्तन, सद्भाव और बंधुत्व की भावना को मज़बूत करने में समर्पित किया है। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर शुभकामना संदेश साझा करते हुए कहा कि भागवत वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत के प्रतीक हैं। उन्होंने राष्ट्र की सेवा में भागवत के दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की भी कामना की।
इसके साथ ही प्रधानमंत्री मोदी ने भागवत की जीवन यात्रा पर एक लेख भी लिखा, जिसमें उनके शुरुआती दौर में एक प्रचारक के रूप में किए गए कार्य, विदर्भ में संगठनात्मक ज़िम्मेदारियां निभाने की भूमिका और आगे चलकर सरसंघचालक बनने तक के सफर का उल्लेख किया। यह लेख विभिन्न अखबारों में प्रकाशित हुआ।
उधर, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री मोदी की इस पहल पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट कर आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री आरएसएस नेतृत्व को खुश करने के लिए ‘बेताब’ हैं। रमेश ने तंज करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री ने भागवत को बधाई संदेश लिखते समय 11 सितंबर 1893 को स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण का उल्लेख तो किया, लेकिन 11 सितंबर 1906 को महात्मा गांधी द्वारा दक्षिण अफ्रीका के जोहानिसबर्ग में पहली बार किए गए सत्याग्रह आह्वान को याद नहीं किया।
जयराम रमेश ने कटाक्ष करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री से सत्याग्रह की उत्पत्ति को याद रखने की उम्मीद करना बहुत ज्यादा हो जाता है, क्योंकि सत्य शब्द ही उनके लिए अपरिचित है। प्रधानमंत्री स्वयं को ‘नॉन-बायलॉजिकल’ बताते हैं और अपने प्रवचनों को ऐसे प्रस्तुत करते हैं मानो वह स्वयं ईश्वर हों।”
प्रधानमंत्री की ओर से दिए गए इस विशेष संदेश और लेख ने जहां आरएसएस और उसके समर्थकों में सकारात्मक प्रतिक्रिया पैदा की है, वहीं विपक्ष ने इसे राजनीतिक निहितार्थों से जोड़कर सवाल खड़े कर दिए हैं।