Monday, September 15, 2025
Homeउत्तर प्रदेशव्यावसायिक युग में लोक परंपरा को संरक्षित रखना एक चुनौती: डॉ. संजयन...

व्यावसायिक युग में लोक परंपरा को संरक्षित रखना एक चुनौती: डॉ. संजयन त्रिपाठी

कार्यशालाएँ ज्ञान के प्रसार के साथ संस्कृति और परंपरा से जोड़ने का माध्यम : प्रो. अजय शुक्ला

गोरखपुर (राष्ट्र की परम्परा)। “इस व्यावसायिक युग में अपनी लोक परंपरा को संरक्षित करना निश्चित ही एक चुनौती भरा कार्य है।”
उक्त विचार भोजपुरी एसोसिएशन ऑफ इंडिया ‘भाई’ एवं गोरखपुर विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय पारंपरिक होली गीत कार्यशाला ‘ रंग बरसे ’ के दूसरे दिन मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. संजयन त्रिपाठी ने व्यक्त किए। उन्होंने डॉ. राकेश श्रीवास्तव द्वारा किए जा रहे इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से जोड़ने का जो कार्य उन्होंने किया है। वह अत्यंत प्रशंसनीय है।
प्रो. अजय शुक्ला, विभागाध्यक्ष, अंग्रेज़ी विभाग, दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने कहा कि कार्यशालाएँ केवल ज्ञान का प्रसार ही नहीं करतीं, बल्कि संस्कृति और परंपरा से जोड़ने का भी कार्य करती हैं। इस कार्यशाला में अंग्रेज़ी विभाग के प्रतिभागी अधिक संख्या में हैं, जो भोजपुरी गीतों से अधिक परिचित नहीं थे। इसके बावजूद, वे पूरे उत्साह से पारंपरिक होली गीतों को सीख रहे हैं। यह उनकी अपनी संस्कृति और परंपरा के प्रति गहरी रुचि और जुड़ाव को दर्शाता है।
कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों ने पारंपरिक होली गीत “खेले मसाने में होली दिगंबर खेले मसाने में होली…” को सुर और लय के साथ बड़े ही मनोयोग से सीखा। कुल 58 प्रतिभागियों ने इस सत्र में भाग लिया। ढोलक पर पवन ने संगत दी, जबकि कार्यक्रम का संचालन शिवेंद्र पांडेय ने किया। इस अवसर पर भाई के कनक हरि अग्रवाल और राकेश मोहन भी उपस्थित रहे।
कार्यशाला का उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपनी लोक परंपरा से जोड़ना और पारंपरिक संगीत के प्रति जागरूकता बढ़ाना है। यह आयोजन भोजपुरी संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

RELATED ARTICLES

Most Popular

Recent Comments