बीजेपी ने साधा निशाना, कहा – “धार्मिक स्थलों का राजनीतिक इस्तेमाल बर्दाश्त नहीं”

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) उत्तर प्रदेश की राजनीति उस समय गरमा गई जब समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव और उनकी पत्नी सांसद डिंपल यादव की एक मस्जिद में बैठक करते हुए तस्वीरें सामने आईं। यह बैठक राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के संसद मार्ग स्थित एक प्रमुख मस्जिद में हुई, जिसमें पार्टी के कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी भी मौजूद थे।
बताया जा रहा है कि इस बैठक का मकसद आगामी चुनावी रणनीति और अल्पसंख्यक समुदाय के प्रतिनिधियों से संवाद करना था। हालांकि, जैसे ही इस बैठक की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हुईं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सपा पर तीखा हमला बोला।
भाजपा के प्रवक्ता ने कहा, “धार्मिक स्थलों का इस तरह राजनीतिक गतिविधियों के लिए इस्तेमाल करना निंदनीय है। यह धर्म की मर्यादा और भारतीय लोकतंत्र की गरिमा के विरुद्ध है। अखिलेश यादव को स्पष्ट करना चाहिए कि मस्जिद में जाकर आखिर वे क्या संदेश देना चाह रहे हैं?”
सपा ने इस पर सफाई देते हुए कहा कि बैठक पूर्णतः सामाजिक और संवादात्मक थी, जिसका उद्देश्य किसी विशेष समुदाय से जुड़ी समस्याओं को समझना था। पार्टी के मुताबिक, इस मुलाकात में कोई राजनीतिक भाषण या प्रचार नहीं किया गया।
सियासी विश्लेषकों का मानना है कि आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों के मद्देनज़र सभी दल अल्पसंख्यक वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटे हैं। ऐसे में यह बैठक राजनीतिक दृष्टिकोण से बेहद अहम मानी जा रही है।
अब देखना यह होगा कि यह मुद्दा आगे कितना राजनीतिक तूल पकड़ता है और सपा व भाजपा के बीच जुबानी जंग किस मोड़ तक पहुँचती है।
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