June 21, 2025

राष्ट्र की परम्परा

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पंडित जवाहरलाल नेहरु की 133वीं जयंती पर सभा का किया आयोजन


देवरिया (राष्ट्र की परम्परा)
संत विनोबा पीजी कॉलेज, देवरिया में पंडित जवाहरलाल नेहरु के जन्म दिवस को बाल दिवस के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम की शुरुआत पंडित जवाहरलाल नेहरू के प्रतिमा पर माल्यार्पण से किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर अर्जुन मिश्रा ने किया और कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर चंद्रेश बारी ने किया। प्रोफेसर अर्जुन मिश्रा ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिवस को बाल दिवस के रूप में मनाए जाने का कारण बताया और बताया कि बच्चे के निश्चल प्रेम से ही व्यक्ति का मन आह्लादित होता है। बाल प्रेम से ही व्यक्ति के अंदर सकारात्मक सोच जन्म देती है इसलिए सभी व्यक्ति को बच्चों से प्रेम करना चाहिए और बच्चे के विकास में भी अपना योगदान देना चाहिए। प्रोफ़ेसर अर्जुन मिश्र ने कहा पं नेहरू आर्थिक और सामाजिक विषमता के विरोधी थे। भारत के बहुआयामी विकास के लिए सामाजिक आर्थिक समरसता आवश्यक होती है। देश की प्रगति सामाजिक वंचना को दूर करके ही लाया जा सकता है। उन्होंने कहां कि पं नेहरू विरोधियों को अपना बनाने की क्षमता रखते थे, जो समाज के वर्गों को एक सूत्र में बांधने की क्षमता थी। लोकतंत्र के विकास के अच्छा संकेत था। प्रोफेसर अर्जुन मिश्र ने कहा आलोचना ही विकास का निर्देशक है। आलोचना किसी भी देश अथवा व्यक्ति के लिए उसके गलतियों को सुधारने का उपाय है। नेहरू कहते थे, छोटे लोग और महानविचार साथ नहीं रह सकते। प्रोफ़ेसर अर्जुन मिश्र ने पं नेहरू के विचारों पर व्यापक रूप से अपना विचार प्रकट किए। प्रोफेसर अर्जुन मिश्रा ने बताया कि, नेहरू मानते थे कि जिसमें अज्ञानता है वह परिवर्तन से सदैव डरता है हमें आने वाले समय में परिवर्तन अवश्य करना चाहिए, जिससे देश की वर्तमान स्थिति को बदलकर एक नवीन भारत के निर्माण में अपना हम सभी योगदान दे सकें।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉक्टर चंद्रेश बारी ने पं नेहरू के व्यक्तित्व पर प्रकाश डाला और देश मे के पुनर्निर्माण में उनकी भूमिका को बताया। डॉ चंद्रेश बारी ने बताया कि विश्व में औपनिवेशिक सत्ता के लोप होने के पश्चात विश्व की आर्थिक और सामाजिक स्थिति अत्यंत दयनीय हो चुकी थी, इस स्थिति में पंडित जवाहरलाल नेहरू गुटनिरपेक्ष आंदोलन की शुरुआत की और गरीब देशों का संगठन गठित करके संयुक्त राष्ट्र संघ में वैश्विक लोकतंत्र की नींव रखी। यह आज भी गरीब देशों के लिए प्रेरणा स्रोत है।
इस कार्यक्रम में पूर्व प्राचार्य प्रोफ़ेसर वाचस्पति द्विवेदी, प्रोफ़ेसर अरविंद कुमार ,प्रोफ़ेसर अशोक सिंह ,प्रोफेसर शैलेंद्र राव, एसोसिएट प्रोफेसर राजनीतिक विज्ञान विभाग के डॉक्टर भूपेश मणि त्रिपाठी ,डॉक्टर विवेक मिश्रा ,संतोष मौर्य ,डॉक्टर शगुफ्ता अफरोज, डॉक्टर राजेश मिश्र,सुधांशु शुक्ला आदि उपस्थित रहे।