पॉकेट मनी के साथ खर्च करने के लिए करते हैं चोरी  

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) की ताज़ा रिपोर्ट ने देशभर में बच्चों के भविष्य को लेकर गंभीर चिंता जताई है। अध्ययन में पाया गया है कि बिहार के करीब 35 लाख बच्चे ऑनलाइन गेम्स में लिप्त हैं, जिनमें से लगभग 25 लाख (70%) बच्चे मानसिक तनाव और बीमारियों से जूझ रहे हैं।

यह लत न केवल उनकी पढ़ाई और करियर को प्रभावित कर रही है, बल्कि परिवारिक रिश्तों और सामाजिक व्यवहार पर भी नकारात्मक असर डाल रही है।

देशभर की स्थिति देशभर में करोड़ों बच्चे ऑनलाइन गेम्स में समय बर्बाद कर रहे हैं।रिपोर्ट के अनुसार, 50% से अधिक प्रभावित बच्चों में चिड़चिड़ापन, अकेलापन और अवसाद के लक्षण पाए गए।विशेषज्ञों का मानना है कि अगर स्थिति पर काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में यह “नई नशे की लत” बन सकती है।

बिहार में बढ़ती समस्या बिहार जैसे शैक्षिक रूप से पिछड़े राज्यों में यह समस्या और गहरी है।ग्रामीण क्षेत्रों के बच्चे मोबाइल और इंटरनेट की आसान उपलब्धता से गेम्स के आदी हो रहे हैं।शिक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इससे प्रतियोगी परीक्षाओं और करियर की तैयारी पर गंभीर असर पड़ रहा है।

समाज को संदेश विशेषज्ञों का सुझाव है कि अभिभावक बच्चों पर निगरानी रखें, उन्हें खेलकूद, पढ़ाई और रचनात्मक गतिविधियों की ओर प्रोत्साहित करें। सरकार और स्कूलों को भी जागरूकता अभियान चलाना होगा ताकि अगली पीढ़ी इस खतरे से बच सके।