
लखनऊ (राष्ट्र की परम्परा के लिए पंडित धनेश मिश्र की प्रस्तुति) सनातन धर्म में शारदीय नवरात्रि का पर्व अत्यंत पावन और शुभ माना जाता है। इस वर्ष नवरात्रि का शुभारंभ 22 सितंबर 2025, सोमवार से हो रहा है। इन नौ दिनों तक भक्त मां दुर्गा और उनकी नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि नवरात्रि में सच्चे मन से किए गए व्रत-उपवास और अर्पित भोग से मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। इसलिए प्रत्येक दिन देवी को विशेष भोग अर्पित करने का विधान है।
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नौ दिनों का भोग क्रम
प्रथम दिवस – मां शैलपुत्री
इस दिन माता को घी का भोग अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इससे जीवन में स्वास्थ्य और दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- द्वितीय दिवस – मां ब्रह्मचारिणी
माता को चीनी और मिश्री का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है। यह भोग समृद्धि और शांति का प्रतीक है। - तृतीय दिवस – मां चंद्रघंटा
इन्हें दूध और दूध से बने व्यंजन जैसे खीर का भोग लगाया जाता है। इससे जीवन में सुख और वैभव की प्राप्ति होती है। - चतुर्थ दिवस – मां कूष्मांडा
माता को मालपुआ या कद्दू का भोग अर्पित करना उत्तम है। इससे घर में समृद्धि और प्रसन्नता आती है। - पंचम दिवस – मां स्कंदमाता
इन्हें केला अत्यंत प्रिय है। केले का भोग चढ़ाने से संतान सुख और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। - षष्ठम दिवस – मां कात्यायनी
माता को शहद का भोग चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि इससे वैवाहिक जीवन में सुख और सौहार्द बना रहता है। - सप्तम दिवस – मां कालरात्रि
माता को गुड़ और तिल का भोग अर्पित करना चाहिए। इससे भय और रोगों का नाश होता है। - अष्टम दिवस – मां महागौरी
इन्हें नारियल और नारियल से बने प्रसाद का भोग प्रिय है। इससे जीवन में पवित्रता और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। - नवम दिवस – मां सिद्धिदात्री
माता को तिल और हलवा का भोग अर्पित करना चाहिए। इससे सभी सिद्धियां प्राप्त होती हैं और कार्य सिद्ध होते हैं।
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- नवरात्रि के इन पावन नौ दिनों में माता को प्रतिदिन अलग-अलग भोग चढ़ाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा, सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है। भक्तजन चाहे तो इन व्यंजनों को फलाहार रूप में भी ग्रहण कर सकते हैं। इस प्रकार श्रद्धा और भक्ति से किए गए व्रत-उपवास से मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों का जीवन मंगलमय कर देती हैं।