
आज कल अमर्यादित टिप्पणी
करने में हम बहुत तेज़ हो गये हैं,
सारी मर्यादा जाने या अनजाने,
ईर्ष्यावश हम सभी भूल गये हैं।
सच है कि वाइफ इज लाइफ,
नो लाइफ विद आउट वाइफ,
व्हेन सम वन लेफ्ट हिज वाइफ,
हाउ कुड ही सरवाइब इन लाइफ।
कोई कहता, उस दल की विधवा,
कोई माँगता है किसी दल की बहू,
अपनी बहू किसी ने छोड़ रखा है,
उनकी बहू पर नज़र लगा रखा है!
कैसे कैसे लोग आते हैं जमाने में,
कसम तो इंसानियत की खाते हैं,
परन्तु नहीं जानते इन्सान क्या है,
और इंसानियत कैसे निभाते हैं?
मुश्किल भी आसान हो जाती है,
डटकर सुलझाने की कोशिश हो,
आदित्य समस्या सुलझ जाती है,
इच्छाशक्ति से मुश्किल सुलझती है।
•कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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