December 22, 2024

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नवरात्रा अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व – इस बार मां गज़ पर सवार

गोंदिया – Rkpnews कुदरत द्वारा रचित इस अनमोल सृष्टि में धरातल पर अगर सबसे अधिक आध्यात्मिकता और विश्वास का कोई स्थान है तो वह है भारत! क्योंकि हजारों वर्षों का इतिहास गवाह है कि यहां जब जब मानवीय योनि पर कष्टों का दौर आया, असुरों राक्षसों का अत्याचार बड़ा, तब तब उनका वध करने धरातल पर कोई न कोई रूप धारण कर मानव योनि की रक्षा करने जरूर पहुंचा है और उसका एक ही नाम है कुदरत का फरिश्ता। हालांकि धरातल पर मानवीय बुद्धि और नजरों ने उन्हें अलग-अलग धर्म के मसीहा का नाम और दर्जा दे डाला है परंतु रास्ते अलग अलग हैं पर मंजिल एक है उद्देश्य एक है। वो आए तो मानवता और मानवीय जीव की रक्षा करने है। चुंकि 26 सितंबर से 5 अक्टूबर 2022 तक नवरात्रा पावन पर्व शुभारंभ हुआ है इसीलिए मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से अच्छाई की बुराई पर जीत के इस पर्व पर चर्चा करेंगे। 
साथियों बात अगर हम नवरात्रा पावन पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाने की शुरुआत की करें तो ऐसी मान्यता है कि आज से बहुत वर्ष पहले जब धरती पर असुरों का राज चलता था, तब एक असुर ने भगवान शंकर की कड़ी तपस्या करके उनसे एक वरदान मांगा कि कभी कोई देवता, असुर, या व्यक्ति उसे मार नहीं सके। उसकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उसे यह वरदान दे दिया। उस असुर का नाम महिषासुर था, जिसने भगवान शंकर से मिले इस वरदान का गलत इस्तेमाल किया और हर जगह लोगों को परेशान करने लगा। वरदान के मुताबिक कोई भी देवता उस से लड़ नहीं सकता था इस वजह से उससे लड़ने के लिए किसी देवी की जरूरत थी। सभी देवियों ने मिलकर अपनी शक्ति को एकाग्र किया और मां दुर्गा का जन्म हुआ। सभी देवियों की शक्ति अपने अंदर लेकर देवी दुर्गा महिषासुर के साथ युद्ध करती हैं और महिषासुर को मार देती है। साथियों नवरात्रि के ही समय में नवरात्रि के दसवें दिन भगवान राम ने रावण का वध किया था। धरती के दो सबसे बड़े राक्षसों का वध नवरात्रि के वक्त ही हुआ है। इसलिए नवरात्रि को अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इस वजह से हर साल नवरात्रि का त्योहार पूरे भारतवर्ष में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है और नवरात्रि के दसवें दिन रावण दहन किया जाता है। साथियों बात अगर हम नवरात्रि व्रत के नियमों की करें तो मान्यता के अनुसार मुख्य रूप से, पलंग पर हम कभी कभार खाना खा लेते हैं और अलग-अलग प्रकार की गतिविधि से वह दूषित भी हो जाता है इस वजह से उपवास करने वाले को पलंग पर नहीं सोना चाहिए उसे मंदिर के पास जमीन पर सोना चाहिए। अगर हम जमीन पर नहीं सो सकते तो पलंग पर से गद्दा हटाकर लकड़ी के तख्ते सोए। 9 दिनों तक व्रत करने के दौरान भोजन नहीं करना चाहिए हम केवल व्रत में खाए जाने वाली चीजों को खा सकते है। व्रत रखने के दौरान ब्रम्हचर्य का पालन करना चाहिए और काम क्रोध लोभ और इस तरह के विचारों पर संयम रखते हुए उनसे दूर रहना चाहिए। व्रत रखने वाले व्यक्ति को मां दुर्गा की पूजा करने के बाद अपने इष्ट देव की पूजा करनी चाहिए और अपने इंद्रियों पर काबू रखना चाहिए। नवरात्रि व्रत करने के दौरान मां दुर्गा के सभी नौ अवतारों की पूजा-अर्चना की जाती है और उपवास रखा जाता है। 9 दिनों तक उपवास करने के बाद नवमी की रात को या अगले दिन दशमी की सुबह को हम नवरात्रि व्रत का पारण कर सकते है। साथियों बात अगर हम इस पर्व पर सेवन वर्जित वस्तुओं की मान्यता की करें तो, नवरात्रि के व्रत के दौरान हम गेहूं का आटा नहीं खा सकते है। नवरात्रि के व्रत के दौरान हम लहसुन प्याज या किसी भी प्रकार के मसाले का सेवन नहीं कर सकते है। नवरात्रि के व्रत के दौरान हम सादर नमक नहीं खा सकते है उसके जगह पर हम सेंधा नमक का प्रयोग कर सकते है। व्रत के दौरान हम किसी भी चीज का नशा नहीं कर सकते है। साथियों बात अगर हम मां के अपने लोक से धरती पर आने की मान्यता की करें तो, देवी भागवत पुराण में बताया गया है कि महालया के दिन जब पितृगण धरती से लौटते हैं तब मां दुर्गा अपने परिवार और गणों के साथ पृथ्वी पर आती हैं। जिस दिन नवरात्र का आरंभ होता है उस दिन के हिसाब से माता हर बार अलग-अलग वाहनों से आती हैं। माता का अलग-अलग वाहनों से आना भविष्य के लिए संकेत भी होता है जिससे पता चलता है कि आने वाला साल कैसा रहेगा। इस साल माता का वाहन हाथी होगा क्योंकि नवरात्रि का आरंभ सोमवार को हुआ है। इस विषय में देवी भागवत पुराण में इस प्रकार लिखा गया है कि रविवार और सोमवार को नवरात्रि आरंभ होने पर माता हाथी पर चढकर आती हैं जिससे खूब अच्छी वर्षा होती है। शशि सूर्ये गजारूढ़ा शनिभौमे तुरंगमे। गुरौ शुक्रे च दोलायां बुधे नौका प्रकीर्त्तिता’। गजे च जलदा देवी छत्र भंगस्तुरंगमे। नौकायां सर्वसिद्धि स्यात डोलायां मरण ध्रुवम्।।भावार्थ- माता हाथी पर सवार होकर धरती पर आ रही हैं। हाथी पर माता का आगमन इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि इस साल खूब अच्छी वर्षा होगी और खेती अच्छी होगी। देश में अन्न धन का भंडार बढ़ेगा।नवरात्र का समापन बुधवार 5 अक्टूबर को हो रहा है। इसे यात्रा तिथि भी कहते हैं क्योंकि इस दिन माता धरती से अपने लोक को लौट जाती हैं। इसलिए इस दिन कहीं यात्रा करने के लिए पंचांग और मुहूर्त देखने की जरूरत नहीं होती है। इस दिन किसी भी दिशा में यात्रा कर सकते हैं। 5 अक्टूबर बुधवार को दशहरा और नवरात्रि समाप्त होने से इस साल माता हाथी से जाएंगी। ऐसे में माता का आना और जाना दोनों ही अच्छी वर्षा का सूचक है। अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नवरात्रा पावन पर्व 26 सितंबर से 5 अक्टूबर 2022 पर विशेष है। भक्त पुकारे मैं दौड़ी चली आए। नवरात्रा अच्छाई की बुराई पर जीत का पर्व है। इस बार मां गज़ पर सवार। पौराणिक मान्यता के अनुसार नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा नव अलग-अलग रूपों में भक्तों का उद्धार करती है। 

-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र