
नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) नेशनल हेराल्ड अखबार से जुड़े बहुचर्चित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बुधवार को एक महत्वपूर्ण मोड़ आया, जब दिल्ली की एक विशेष अदालत ने इस हाई-प्रोफाइल मामले में दैनिक सुनवाई शुरू कर दी। यह मामला कांग्रेस की सर्वोच्च नेता सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी से जुड़ा है, जिसे प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने कई गंभीर आरोपों के साथ उठाया है।
विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने की अदालत में चल रही सुनवाई में बुधवार को ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) वी. राजू पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि कांग्रेस पार्टी ने सुनियोजित तरीके से एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) को हड़पने की कोशिश की, जिसकी संपत्ति वर्तमान में करीब 2,000 करोड़ रुपये की आंकी गई है।
क्या है पूरा मामला?
मूल रूप से नेशनल हेराल्ड अखबार एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) के तहत प्रकाशित होता था। कांग्रेस पार्टी ने वर्ष 2010 में यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी बनाई, जिसमें सोनिया गांधी और राहुल गांधी 76% हिस्सेदारी के मालिक हैं। आरोप है कि कांग्रेस पार्टी ने AJL को दी गई 90 करोड़ रुपये की ऋण राशि को माफ कर दिया और फिर AJL के स्वामित्व वाले संपत्तियों पर यंग इंडियन का कब्जा सुनिश्चित किया गया।
ASG वी. राजू के आरोप:
उन्होंने कहा कि इस साजिश के केंद्र में सोनिया गांधी और राहुल गांधी हैं।
उनके अनुसार, यंग इंडियन को केवल इसलिए बनाया गया ताकि AJL की महंगी संपत्तियों को हड़पा जा सके।
राजू ने अदालत में कहा, “यह एक राजनीतिक पार्टी की ओर से सोची-समझी रणनीति थी। इस मामले में धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) का सीधा संबंध सोनिया गांधी और राहुल गांधी से है।”
कांग्रेस की प्रतिक्रिया:
कांग्रेस पार्टी ने इन आरोपों को राजनीतिक प्रतिशोध करार देते हुए खारिज किया है। पार्टी का कहना है कि यह मामला राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित है और इसका उद्देश्य प्रमुख विपक्षी नेताओं को बदनाम करना है।
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