
श्रीराम आइये अवधपुरी में अब, ज्योत्सना जली है लाखों दीपों की, रोशन अवधपुरी का हर कोना है, हमको इंतज़ार है आपके आने की।
चौदह बरस बीत गये हैं तुम बिन,
नैना श्री राम दरस को प्यासे हैं,
अवध की सारी गलियाँ सूनी हैं,
सरयू लहरें दर्शन को आकुल हैं।
अवध पुरी की महारानी सीता,
लक्ष्मण जन – जन को प्यारे हैं,
वन वन भटक रहे आप के संग,
सबके दर्शन को नैना प्यासे हैं।
लक्ष्मी गणेश का आवाहन कर,
उनकी पूजा कर प्रसन्न किया है,
रघुकुल नंदन आने के स्वागत में,
अवधपुरी में दोनों ने वास किया है।
सीता- राम, लक्ष्मण के दर्शन को,
सुरपुर के वासी सारे यहाँ पधारे हैं,
तीनों लोकों के नरनारी, पशु पक्षी,
जड़-जीव सभी दर्शन को आतुर हैं।
आदित्य विनती है यही सभी की,
अब प्रभु वन का राज त्याग करो,
आ जाओ वापस कर दो सनाथ,
अवधपुरी व सरयू को अपना लो।
कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
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