Tuesday, September 16, 2025
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मन बसत मेरो वृंदावन में

मन बसत मेरो वृंदावन में,
मन बसत मेरो वृंदावन में,
रंग रंगीली होली आयी,
सारे जग की ख़ुशियाँ लायी,
रंग गुलाल अबीर फ़िज़ायें,
फागुन की मदमस्त हवायें॥

होली आयी होली आयी,
सरसों फूल बहारें लायी,
राधा खोजें कृष्ण कन्हाई,
पिया मिलन की बेला आई॥

अमवा की बगिया बौराई,
पेड़ों पर कलियाँ खिल आई,
वृंदावन की कुंज गलिन में,
कृष्ण गोपिका रास रचाई ॥

वृंदावन बेली, चंप चमेली,
गुलदावदी गुलाबों में,
गेंदा, गुलमेहंदी, गुलाबास,
गुलख़ैरा फूल हज़ारों में,
निम्बू , नारंगी रंग रंगीली,
लियो जौन जा के मन में,
मन बसत मेरो वृंदावन में,
मन बसत मेरो वृंदावन में ॥

अवध का गुलाल,
गंगा-जमुना की धार,
मथुरा की खुशबू ,
गोकुल की बहार
वृन्दाबन की मस्ती,
बरसाने की फुहार,
राधा की उम्मीदें,
कान्हा का प्यार
मुबारक हो आपको,
होली का त्योहार॥

अग्निपरीक्षा में अधर्म का दहन हो,
सत्य-संकल्प, प्रह्लाद – उत्कर्ष हो,
होलिका दहन में ईर्ष्या-द्वेष हनन हो,
होली की ख़ुशी, निष्कपट मिलन हो।

आदित्य अहंकार में रिश्ते मत खोना,
रिश्ते बचाने में सम्मान मत खो देना,
अपनों, परायों को बदलते देखकर,
जीवन परिस्थिति का सामना करना।

  • डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’ ‘विद्यावाचस्पति’
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