March 14, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

सदाचार व्यवहार व्यक्तित्व निखारते

मेरी रचना, मेरी कविता
—●—
महत्वकांक्षा कर्तव्यशीलता पर
ही जब भारी पड़ने लग जाती है,
महत्वाकांक्षा तभी जीवन हताशा
और निराशा में बदल जाती है ।

कर्तव्यपरायणता जब जीवन की
महत्वाकांक्षा से ऊपर उठ जाती है,
जीवन में सफलता का उदय होता है,
सुखद जीवन की आशा बढ़ जाती है।

अपने मन की किताब को किन्ही
ऐसों के सामने खोलना चाहिए,
जो उसे पढ़ कर दिल से लगा सकें,
वरना लोग तो रद्दी में फेंक देते हैं।

नेत्र हमें केवल दृष्टि प्रदान करते हैं,
परंतु हम कहाँ, कब, क्या देखते हैं,
हमारे मन के भाव पर निर्भर होता है,
अच्छे बुरे का ज्ञान क्षमता से होता है।

दुनिया में लोग किसी का सम्मान
केवल दो कारणों से ही करते हैं,
या तो उस व्यक्ति के पास शक्ति है,
या उस इंसान का व्यवहार सुंदर है।

जहाँ शक्ति चंद दिनों की मेहमान है,
सुंदर व्यवहार जीवन भर का होता है,
आचार व्यवहार व्यक्तित्व निखारते हैं,
बल प्रदर्शन हमारा अहंकार बढ़ाते हैं।

समस्यायें संघर्ष पथ पर चल कर
जीवन में समाधान करवाती हैं,
उनका मुक़ाबला व उनसे लड़ना
उनका अनुभव बखूबी बढ़ाती हैं।

प्रयास व अभ्यास हौसला बढ़ाते हैं,
आदित्य सकारात्मक सीख दे जाते हैं,
समस्या समाधान हौसला बढ़ाता है,
जीने की राह का सुपथ बन जाता है।

कर्नल आदि शंकर मिश्र, आदित्य
लखनऊ