Tuesday, October 14, 2025
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Mother Teresa और Missionaries of Charity: सेवा का अनमोल आदर्श

लेखक: अभिषेक कुमार, लखनऊ

विश्व में सेवा और मानवता का प्रतीक बनने वाली एक नामी शख्सियत हैं Mother Teresa, जिनका जीवन पूरी तरह मानवता की सेवा के लिए समर्पित रहा। गरीबों, अनाथों, बीमारों और समाज के उपेक्षित वर्गों के लिए उनके योगदान को आज भी सम्मान और श्रद्धा के साथ याद किया जाता है। 7 अक्टूबर 1950 को उन्होंने Missionaries of Charity की स्थापना की, जिसने उनके आदर्शों को विश्वव्यापी स्वरूप दिया। यह संस्था सिर्फ एक धार्मिक समुदाय नहीं, बल्कि मानवता की सेवा का जीवंत प्रतीक बन गई।
Missionaries of Charity की स्थापना
Mother Teresa को उनके जीवन का सबसे बड़ा आह्वान 10 सितंबर 1946 को मिला, जिसे उन्होंने “call within a call” बताया। इस आह्वान ने उन्हें गरीबों और जरूरतमंदों की सेवा के लिए पूरी तरह समर्पित कर दिया। चार साल के गहन विचार और योजना के बाद, 7 अक्टूबर 1950 को Missionaries of Charity को औपचारिक रूप से स्वीकृति मिली।
शुरुआत में संस्था के पास सिर्फ 12 सदस्य थे, जिन्होंने कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता) के छोटे से इलाके में गरीबों की सेवा शुरू की। इस संस्था का मुख्य उद्देश्य समाज के उन वर्गों की सहायता करना था जिन्हें जीवन की बुनियादी आवश्यकताओं तक पहुँच नहीं थी। समय के साथ यह संस्था अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फैल गई और अनेक देशों में इसकी शाखाएँ स्थापित हुईं।
उद्देश्य, सिद्धांत और सेवा मॉडल
Missionaries of Charity के उद्देश्य और सिद्धांत अत्यंत स्पष्ट हैं। इसका मुख्य लक्ष्य समाज के सबसे कमजोर और उपेक्षित वर्गों की सेवा करना है। इसके लिए सदस्यों को चार प्रमुख व्रत (vows) लेने होते हैं:

ब्रह्मचर्य (Chastity) – शुद्ध जीवन और सेवा में पूर्ण समर्पण।
व्रत्ती (Poverty) – किसी भी प्रकार के व्यक्तिगत संपत्ति या भौतिक साधनों का त्याग।
आज्ञाकारिता (Obedience) – संस्थान के नियमों और सेवा के उद्देश्यों के प्रति पूर्ण समर्पण।
“Poorest of the Poor” की सेवा – एक अनूठा चौथा व्रत, जो उन लोगों की नि:स्वार्थ सेवा की प्रतिज्ञा करता है जो समाज की अंतिम पंक्ति में हैं।
Home for the Dying: अंतिम समय में जीवन व्यतीत करने वाले बीमार लोगों को सम्मान और सुविधा प्रदान करना।
अनाथालय: अनाथ बच्चों की शिक्षा और पालन-पोषण।
वृद्धाश्रम: वृद्ध और बेसहारा व्यक्तियों को आश्रय एवं देखभाल।
लेप्रसी (कुष्ठ रोगी) केंद्र: समाज से बहिष्कृत रोगियों की चिकित्सा और पुनर्वास।
गृहमुखी सहायता: जरूरतमंद परिवारों और समुदायों के लिए स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण संबंधी सहायता।
इस सेवा मॉडल की खासियत यह है कि यह केवल सहायता देने तक सीमित नहीं, बल्कि मानवता और गरिमा को बनाए रखने पर केंद्रित है।
Missionaries of Charity ने समय के साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता और प्रभाव हासिल किया। आज यह संस्था केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका और एशिया के अनेक देशों में सक्रिय है। इनके कार्यक्षेत्र में स्वास्थ्य, शिक्षा, आपदा राहत, गरीबों को दवाइयाँ और अन्य आवश्यक सहायता उपलब्ध कराना शामिल है।
Mother Teresa को उनके योगदान के लिए कई अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हुए, जिनमें सबसे प्रमुख नोबेल शांति पुरस्कार (1979) है। उनका जीवन और कार्य आज भी विश्व भर के धर्मार्थ और सामाजिक संगठनों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उनका आदर्श हमें यह सिखाता है कि समाज के सबसे कमजोर वर्गों की सेवा करना न केवल कर्तव्य है, बल्कि मानवता की सच्ची पहचान है।
Missionaries of Charity की शाखाएँ आज भी गरीबों, रोगियों, अनाथों और बेसहारा लोगों की सेवा में समर्पित हैं। उनके कार्यों का सबसे बड़ा संदेश यह है कि सेवा में शक्ति है और छोटी-छोटी मदद भी किसी के जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती है।
Mother Teresa और Missionaries of Charity का जीवन संदेश आज भी समाज के लिए प्रकाश स्तंभ है। यह संस्था यह प्रमाणित करती है कि निस्वार्थ सेवा, समर्पण और करुणा से विश्व में स्थायी परिवर्तन लाया जा सकता है। 7 अक्टूबर का दिन केवल Missionaries of Charity की स्थापना का प्रतीक नहीं, बल्कि मानवता की सेवा और करुणा के आदर्श का प्रतीक है।

Mother Teresa का जीवन हमें यह याद दिलाता है कि मानवता की सेवा कोई बड़ा या प्रसिद्ध कार्य नहीं, बल्कि हर दिन के छोटे-छोटे प्रयासों से शुरू होती है। उनके आदर्श आज भी हमें प्रेरित करते हैं कि हर व्यक्ति चाहे किसी भी समाज या धर्म से हो, मानवता की सेवा में योगदान दे सकता है।

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