बघौचघाट (राष्ट्र की परम्परा) जिले के पथरदेवा बघौचघाट मार्ग के समीप स्थित सिद्ध पीठ स्थान मां हिरमती भवानी माता मंदिर में जो भी भक्त आस्था से सिर झुकाते हैं, मां उसकी मुरादे पूरी करती है।यह स्थान करीब सैकड़ो वर्ष पूर्व कभी तमकुही स्टेट के घने जंगलों के बीच राजा की छावनी हुआ करता था जहा मां हिरमती भवानी का मंदिर है।
क्षेत्र के देवरिया धूस चौराहा के समीप स्थित सिद्धपीठ स्थान माँ हिरमती भवानी माता का मन्दिर क्षेत्रीय लोगो के श्रद्धा व आस्था का केंद्र है,जहाँ सच्चे मन से जो भी भक्त यहाँ आकर माँ की पूजा अर्चना करता है उसकी मनोकामना माँ हीरमती भवानी पूर्ण करती है।यहाँ सैकङो वर्ष पूर्व जमीन से स्वतःकाले पत्थर की माँ की प्रतिमा निकली थी।तब से इस स्थान पर नवरात्रि में श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है।
जनश्रुतियों के अनुसार इस स्थान पर पहले कभी घना जंगल हुआ करता था जहाँ सैकङो वर्ष पूर्व तमकुही स्टेट के तत्कालीन राजा यहाँ शिकार करने आया थे,उसी दौरान एक दिन राजा अपनी इस छावनी में रात्रि विश्राम कर रहे थे तभी माता ने इन्हें स्वप्न में दर्शन देकर बताया था की राजा मेरी प्रतिमा तुम्हारी छावनी के अमुख जगह जमीन में है।तुम उस जगह जमीन की खुदाई कर मेरी प्रतिमा निकाल कर मन्दिर का निर्माण कराने के उपरांत मेरी पूजा अर्चना करो, तो मैं तुम्हारा कल्याण करुँगी।राजा सुबह जगने के बाद वैसा ही किये जैसा माँ ने रात्रि स्वप्न में राजा से कहा था।तभी से यहाँ पूजा पाठ आयोजन चला आ रहा है।लोगो का विश्वास है की इस सिद्धपीठ स्थान पर जो भी भक्त सच्चे मन से माँ की भक्ति करते है।वे काल के मुँह से बाहर आ जाते है।वर्तमान में मुख्य मंदिर के दोनो तरफ शिव,रामसीता और सामने विश्वकर्मा जी का भव्य मंदिर है।नवरात्रि में यहां भक्तगण नारियल ,चुनरी ,लाइची दाना आदि प्रसाद के रूप में चढ़ाते हैं।उक्त मंदिर के पुजारी विजय दास कहते हैं कि जो भक्त सच्चे मन से मां हीरमती भवानी की पूजा अर्चन करते हैं मां उसकी सभी मनोकामना पूर्ण करती है।
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