——-पूजा मिश्रा (काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट)——
👉मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के प्रति जागरूकता: समय की मांग
राजापाकड़ कुशीनगर(राष्ट्र की परम्परा)09 अक्टूबर..
पूरे विश्व में हर साल 10 अक्टूबर को मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने “मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण को वैश्विक प्राथमिकता बनाना” को इस वर्ष मानसिक स्वास्थ्य दिवस का विषय चुना है।
👆प्रदीप गुप्ता (क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं डीआरडीओ साइंटिस्ट)
इस अवसर पर मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रदीप गुप्ता (क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट एवं डीआरडीओ साइंटिस्ट) व पूजा मिश्रा (काउंसलिंग साइकोलॉजिस्ट) ने लोगों को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया और मानसिक बीमारियों व उनके इलाज के बारे में जानकारी प्रदान की।
👉मानसिक स्वास्थ्य: मानसिक बीमारी की अनुपस्थिति मात्र से बढ़कर
हम में से अधिकांश लोग मानते हैं कि मानसिक रूप से स्वस्थ होने का मतलब है मानसिक विकार का न होना। हालांकि यह समझना जरूरी है कि मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य का एक अभिन्न अंग है, न कि केवल मानसिक बीमारी की अनुपस्थिति। यह लोगों के स्वास्थ्य व कल्याण की नींव है।
👉मानसिक स्वास्थ्य समस्या: एक चुनौती
दुनिया भर के सभी प्रकार के रोगों के बोझ में, सिर्फ मानसिक बीमारी का योगदान 14% तक है। भारत में लगभग 6-7% जनसंख्या किसी न किसी मानसिक विकार से पीड़ित है। कोविड-19 की अवधि के दौरान मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों में 20% की वृद्धि हुई थी।
औसतन हर चौथे परिवार में कम से कम एक सदस्य मानसिक व व्यावहारिक विकार से जूंझता है।
इनमें से ज्यादातर लोगों को कुछ कारणों से उपचार नहीं मिल पाता हैं। जो लोग उपचार ढूंढते हैं उन्हें शायद ही विशेष मानसिक स्वास्थ्य उपचार मिलता है। ज्यादातर लोग उपचार के लिए सामान्य चिकित्सकों तक ही पहुंच पाते है, मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के पास नही। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और उनसे जुड़ी उपचार सुविधाओं के बारे में लोगों में जागरूकता की कमी है। जो लोग कम पढ़े-लिखे होते हैं, वे अक्सर झाड़ फूंक के चक्कर में फंस जाते हैं और उचित उपचार नहीं करा पाते।
सामान्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं –
ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि मुझे मानसिक समस्या नहीं हो सकती, परंतु ऐसा देखा गया है की मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं किसी को भी हो सकती हैं। आमतौर पर लोगों का ये भी मानना होता है कि केवल निचले तबके के लोग ही मानसिक बीमारियों से पीड़ित होते हैं। कोई भी, यहां तक कि डॉक्टर भी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से प्रतिरक्षित नहीं हैं। भागदौड़ से भरी आज की प्रतिस्पर्धात्मक दुनिया में अधिकांश लोग कभी न कभी किसी मानसिक समस्या का अनुभव करते हैं लेकिन विभिन्न कारणों से विशेषज्ञ की परामर्श नही ले पाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं न ले पाने के कारण
👉मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज संभव
यह एक सामान्य प्रवृत्ति है कि लोग मानसिक स्वास्थ्य को उतना महत्व नहीं देते जितना कि शारीरिक बीमारी को दिया जाता है। आम तौर पर लोग सोचते हैं कि जिसे एक बार मानसिक बीमारी हो जाती है, वह पूरे जीवन उसी स्थिति में रहता है। वास्तव में, वर्तमान समय में अधिकांश मानसिक रोगों का उपचार किया जा सकता है। इसलिए, यह जरुरी है कि विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से आम जनता में मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों के प्रति जागरूकता फैलाया जाए जिससे लोग उचित उपचार करा पाएं।
मानसिक स्वास्थ्य के बिना हम संपूर्ण स्वास्थ्य की कल्पना नहीं कर सकते। व्यक्ति के संपूर्ण विकास के लिए शारीरिक के साथ-साथ मानसिक रूप से स्वस्थ होना भी आवश्यक है।
👉भारत में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं
वर्तमान में जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत प्रत्येक जिला अस्पताल में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध हैं। इनके अलावा, ये कुछ प्रसिद्ध सरकारी मानसिक स्वास्थ्य संस्थान हैं जहां से कोई मदद ले सकता है।
जब किसी को कोई मानसिक स्वास्थ्य समस्या, समायोजन की समस्या, तनाव से निपटने में कठिनाई का अनुभव होता है, तो व्यक्ति को प्रशिक्षित मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ जैसे – नैदानिक मनोवैज्ञानिक या मनोचिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।
संवाददाता कुशीनगर…
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