उतरौला ,बलरामपुर(राष्ट्र की परम्परा) छह मोहर्रम को अमया देवरिया के ईमामबारगाह मरहूम मेहर अली कर्बलाई में एक मजलिस का आयोजन हुआ। जिसे मौलाना ज़ायर अब्बास ने खेताब किया।
मजलिस से पूर्व नूर इलाही, अली अम्बर रिज़वी, आदि ने अपना कलाम पेश किया।
मजलिस में ज़ायके मौत को बताते हुए मौलाना ने फरमाया कि ज़ायके मौत 13 बरस के क़ासिम इब्ने इमाम हसन की निशानी व इमाम हुसैन के भतीजे से जब इमाम ने पूछा कि मौत तुम्हारे नज़दीक कैसी है तो फरमाया शहद से ज़्यादा मीठी है। अंत में मौलाना ने मसायेबे क़ासिम की तफसीर बयान की जिसे सुनकर सभी की आंखें नम हो गई।
मजलिस के बाद मेहंदी का जुलूस बरामद हुआ। जिसमें मुकामी अंजुमन अंजुमने हुसैनिया ने नौहाख्वानी व सीनाजनी की। जुलूस में जगह जगह पर लोगों ने पानी, शरबत, कोल्ड ड्रिंक व चाय वितरित किया।
देश की आज़ादी से पहले उठने वाला ये जुलूस पूरे गांव में गश्त करता हुआ वापस आकर मरहूम मेहर अली कर्बलाई के इमामबारगाह में सात मोहर्रम सुबह पांच बजे संपन्न हुआ।
सुरक्षा व शांति व्यवस्था कायम रखने के लिए भारी पुलिस बल मुस्तैद रहे।
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