Tuesday, October 14, 2025
HomeUncategorizedअंतर्राष्ट्रीय खबरेमेघनाथ साहा: विज्ञान और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम

मेघनाथ साहा: विज्ञान और राष्ट्रभक्ति का अद्भुत संगम

जयन्ती पर विशेष

भारतीय विज्ञान जगत में मेघनाथ साहा का नाम सदैव आदर और गर्व के साथ लिया जाता है। उन्होंने अपने शोध, सिद्धांतों और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भारत को विश्व के अग्रणी वैज्ञानिक देशों की श्रेणी में स्थान दिलाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे न केवल एक महान वैज्ञानिक थे, बल्कि एक सच्चे राष्ट्रभक्त, विचारक और समाज सुधारक भी थे। मेघनाथ साहा का जन्म तत्कालीन पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के ढाका से लगभग 45 किलोमीटर दूर शिओरताली गाँव में 6 अक्टूबर 1893 को हुआ था। उनके पिता जगन्नाथ साहा एक साधारण दुकानदार थे और माता भुवनेश्वरी देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं। आर्थिक स्थिति सीमित होने के बावजूद, मेघनाथ ने कठिन परिस्थितियों में भी शिक्षा प्राप्त करने का संकल्प नहीं छोड़ा।

उन्होंने ढाका कॉलेज से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की और बाद में प्रेसीडेंसी कॉलेज, कलकत्ता से उच्च शिक्षा ली। वहीं से उनकी वैज्ञानिक प्रतिभा का विकास हुआ।
मेघनाथ साहा का सबसे बड़ा योगदान “साहा समीकरण (Saha Equation)” का प्रतिपादन है। यह समीकरण तारों की आंतरिक संरचना, तापमान और आयनीकरण की अवस्था का वैज्ञानिक विश्लेषण करता है। इस सिद्धांत ने आधुनिक खगोल भौतिकी (Astrophysics) को एक नया आयाम दिया।
उनके शोध से यह स्पष्ट हुआ कि तारों का रंग, ताप और उनके तत्व किस प्रकार निर्धारित किए जा सकते हैं। यह समीकरण आज भी विश्वभर के खगोल वैज्ञानिकों के लिए आधारभूत सिद्धांतों में गिना जाता है।
देश में विज्ञान के विकास को गति देने के लिए उन्होंने कई संस्थानों की स्थापना की। उन्होंने साहा नाभिकीय भौतिकी संस्थान (Saha Institute of Nuclear Physics) और इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टिवेशन ऑफ साइंस (IACS) की स्थापना की, जहाँ युवा वैज्ञानिकों को अनुसंधान के अवसर मिले। साथ ही वे राष्ट्रीय शक पंचांग के संशोधन में भी प्रमुख भूमिका में रहे। उनकी अध्यक्षता में बनी समिति की सिफारिशों के अनुसार नया पंचांग 22 मार्च 1957 से लागू किया गया।
nसाहा केवल प्रयोगशाला के वैज्ञानिक नहीं थे, बल्कि एक जागरूक देशभक्त भी थे। जब 1905 में अंग्रेज़ सरकार ने बंगाल विभाजन का षड्यंत्र रचा, तब युवा मेघनाथ गहराई से आंदोलनों से प्रभावित हुए। प्रेसीडेंसी कॉलेज में पढ़ाई के दौरान उन्होंने अनुशीलन समिति से जुड़कर क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया। यह संगठन उस समय युवाओं में देशभक्ति की भावना जगाने का केंद्र था।
बाद में उनका संपर्क नेताजी सुभाष चंद्र बोस और डॉ. राजेंद्र प्रसाद जैसे राष्ट्रीय नेताओं से हुआ, जिन्होंने उनके वैज्ञानिक दृष्टिकोण और देशप्रेम दोनों की सराहना की।
विज्ञान के साथ-साथ मेघनाथ साहा सामाजिक सुधारों में भी विश्वास रखते थे। वे शिक्षा को सामाजिक उत्थान का सबसे बड़ा माध्यम मानते थे। उन्होंने भारतीय संसद में भी प्रतिनिधित्व किया और विज्ञान एवं शिक्षा से जुड़े विषयों पर सार्थक सुझाव दिए। उनका मानना था कि विज्ञान तभी सार्थक है जब उसका लाभ समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुँचे।
मेघनाथ साहा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान मिले। भारत सरकार ने उनके सम्मान में डाक टिकट जारी किया और कई विश्वविद्यालयों में उनके नाम से अनुसंधान केंद्र स्थापित किए। उनकी स्मृति में स्थापित साहा पुरस्कार देश के श्रेष्ठ वैज्ञानिकों को प्रदान किया जाता है।
मेघनाथ साहा का जीवन इस बात का प्रमाण है कि सीमित संसाधन भी असीम सफलता का आधार बन सकते हैं, यदि मन में दृढ़ निश्चय और देशभक्ति हो। उन्होंने यह दिखाया कि विज्ञान केवल प्रयोगशाला की दीवारों तक सीमित नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का मजबूत आधार है।
आज उनकी जयंती के अवसर पर पूरा देश इस महान वैज्ञानिक को नमन करता हैl एक ऐसे व्यक्तित्व को जिसने तारे-ग्रहों की गुत्थियाँ सुलझाने के साथ-साथ भारत की वैज्ञानिक चेतना को भी नई ऊँचाई दी।

— नवनीत मिश्र

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments