
चन्दौली(राष्ट्र की परम्परा)
कैथी में चल रहे शिव महापुराण कथा के दूसरे दिन जन कल्याण सेवा समिति के अध्यक्ष गोबिंद तिवारी”गोलू”द्वारा जजमानों और अतिथियों को संत शशिकांत महाराज द्वारा अंगवस्त्रम प्रदान किया गया । दूसरे दिन कथा सुनाते हुए संत शशिकांत महाराज ने कहा कि शिव महापुराण की कथा पापी भी सुनकर तर जाते है । जिसके जीवन मे कोई नियम नही है वो हमेशा परेशान रहते है । भगवान का भजन कथा सुनने के लिए भी नियम बनाये, कुछ समयों के लिए जैसे नवरात्रि,शिवरात्रि ,अक्षय तृतीया, सावन या फिर किसी शुभ अवसर पर आदि में ही लोग पूजन अर्चन पर ध्यान देते है । भगवान शिव का पूजा करने के लिए मुहूर्त नही देखा जाता है । जब समय मिल जाय तब ही कथा,सत्संग सुने । उन्होंने कहा कि भूमि तीन प्रकार की होती एक भूमि जो हंसती,एक भूमि रोती है और एक भूमि सोती है । हर जमीन हसेंगी बस उस जमीन पर कथा कराइये । जहां शिव महापुराण कथा होता है वह भूमि धन्य हो जाती है, और यह महादेव तय करते है । महादेव की कृपा अपने ऊपर करने लिए रोज थोड़ा समय भगवान शिव को दे । जीवन मे गुरु के बिना सब अधूरा है , भाव से कथा का श्रवण करिये । शिव महापुराण की कथा सुनने से शिव लोक की प्राप्ति होती है । भगवान शिव की पूजा शिवलिंग और शिवमूर्ति रूप में होती है । साकार और निराकार रूप में पूजा करते है । बताया कि लोगो को थोड़ा धन आ जाता है तो लोगो को घमंड हो जाता है, ब्रम्हा को भी जगत बनाने का घमंड हो गया नौबत यहां तक आ गयी कि युद्ध और महा प्रलय की नौबत आ गयी । तैतीस कोटि देवी महादेव के शरण मे युद्ध रोकने के लिए गये । युद्ध के दौरान बीच से धरती फटी और शिवलिंग प्राकट्य हुआ और ब्रम्हा का एक सिर काट दिया । तब ब्रम्हा जी ने क्षमा मांगे , भोलेनाथ ने श्राप दिया कि कही ब्रम्हा कि पूजा नही होगी । बिष्णु जी के अनुरोध पर भोले नाथ ने क्षमा किया और वर दिया कि जहां ब्रम्हा का मन्दिर बनेगा वहां पूजा होगा । अरे इस सृष्टि में सबसे बड़ा महादेव है । न इनका अंत है और न शुरआत । सत्यम शिवम सुंदरम की साक्षात प्रतिमूर्ति हैं।जीवन मे किसी चीज का अभिमान नही करना क्योंकि यह कुछ समय के लिए ही होता है । जब यह तीनों चीजों आये तो भगवान के पास जाइये और बोलिये की आप की कृपा से सब काम हो रहा है ।
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