माँ कूष्माण्डा दुर्गा के नौ रूपों में चौथी आराध्य देवी हैं। कहा जाता है कि उनकी मुस्कान से ही ब्रह्माण्ड का सृष्टिकरण हुआ — इसलिए वे प्रकाश, जीवन-ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की देनी हैं। जिन भक्तों को शक्ति, उत्साह और परिवार-कल्याण की चाह होती है, वे विशेष रूप से माँ कूष्माण्डा की आराधना करते हैं। नीचे उनके कुछ प्रसिद्द मंदिरों, उन मंदिरों की विशेषता और वहाँ पहुँचने के व्यावहारिक मार्ग दिए जा रहे हैं — ताकि आप भक्ति यात्रा सरलता से योजना बना सकें।
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1.कुशमाँडा देवी मंदिर — घाटमपुर (गाँठ: कानपुर ज़िला, उत्तर प्रदेश)
यह मंदिर कानपुर-घाटमपुर क्षेत्र का प्रसिद्ध कूप्थान है जहाँ माँ कूष्माण्डा की प्राचीन मूर्ति/स्थापना है। स्थानीय मान्यता के अनुसार यह स्थान सदियों पुराना और स्वयंभू माना जाता है, इसलिए यहाँ भक्तों का निरन्तर आगमन रहता है। घाटमपुर से जुड़ी रेल व सड़क सुविधाएँ अच्छी हैं — निकटतम बड़ा रेलवे हब कानपुर सेंट्रल है और घाटमपुर की अपनी छोटी रेलवे सुविधा भी उपलब्ध है; कानपुर हवाई-अड्डा भी सापेक्ष नज़दीक है। यात्रियों के लिए कानपुर से घाटमपुर ट्रेन या सड़क मार्ग आसान विकल्प है।

- श्री कूषमण्डा मंदिर — काशी (वाराणसी, उत्तर प्रदेश)
काशी (वाराणसी) में भी माँ कूष्माण्डा का एक प्राचीन मंदिर है, जो संकटा मोचन व आसपास के प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के पास स्थित है। यह मंदिर तीर्थयात्रियों और स्थानीय भक्तों के बीच लोकप्रिय है—वाराणसी के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक माहौल में यह स्थान विशेष महत्व रखता है। वाराणसी पहुँचना सहज है — लाल बहadur शास्त्री अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा (बाबतपुर) और वाराणसी जंक्शन रेलमार्ग के जरिए आसानी से आ सकते हैं; अन्दरूनी शहर से मंदिर स्थानीय वाहन/इ-रिक्शा से पहुँचा जा सकता है।

3.ब्यासन /bijasan माता मंदिर (इंदौर, मध्य प्रदेश) — (नवदुर्गा समेकित स्थल)
इंदौर के हिल-साइड पर स्थित Bijasan Mata (Bijasan Hill) मंदिर परिसर में नौ दुर्गा-रूपों का समेकित पूजन होता है और इसमें कुशमाण्डा का रूप भी पूजा जाता है। यह स्थान मुख्य शहर से करीब है और विशेषकर नवरात्रि के दिनों में यहाँ भारी भीड़ होती है। इंदौर रेलवे स्टेशन/हवाई अड्डा से सड़क मार्ग से पहुँचना सीधा व सुविधाजनक है—समाचार स्रोतों के अनुसार मंदिर इंदौर के लगभग 10 किलोमीटर के भीतर स्थित है और पर्यटक-घनत्व नवरात्रि में सबसे अधिक बढ़ता है।
- नौ देवी / कटरा/नौ-देवी गुफा (कटरा के नज़दीक — जम्मू एवं कश्मीर)
कटरा-क्षेत्र में स्थित कुछ नौ-देवी स्थलों/गुफाओं में नवदुर्गा के रूपों को एकत्रित रूप से पूजा जाता है। इन स्थलों पर कभी-कभी कुष्मांडा समेत नौ देवी विराजमान मानी जाती हैं और यह धार्मिक पर्यटन के रूप में भी लोकप्रिय हैं। कटरा पहुँचना जम्मू के माध्यम से सबसे सुविधाजनक है — जम्मू से सड़क/रेल/हवाई संपर्क सुव्यवस्थित है; यात्रियों का सामान्य मार्ग जम्मू हवाई अड्डा →डोमल सड़क/ट्रेक के द्वारा होता है। यदि आपकी प्राथमिकता नौ-देवी परंपरा के अंतर्गत कुष्मांडा के दर्शन हैं तो कत्रा के आसपास के कुछ मंदिर व गुफा-स्थल भी देखे जा सकते हैं।
माँ कूष्माण्डा की आराधना के सुझाव और यात्रा-टिप्स - भक्ति और समय: नवरात्रि का चौथा दिन माँ कूष्माण्डा को समर्पित है — इस दिन विशेष पूजा, संध्या-अरती और जप (जैसे कूष्माण्डा के मंत्र) करने से भक्तों को विशेष लाभ माना जाता है।
- आरती और प्रसाद: प्रत्येक मंदिर की अपनी आरती-समय-सूची रहती है — तीर्थ-यात्रा से पहले मंदिर की स्थानीय टाइमिंग और महोत्सव तिथियाँ देख लें (नवरात्रि में विशेष प्रबंध होते हैं)।
- यात्रा योजना: लंबी दूरी पर जाने वालों को रेल/हवाई टिकट पहले से बुक कर लेने चाहिए; छोटे तीर्थ-स्थलों पर भीड़ और पार्किंग सीमित हो सकती है, इसलिए सुबह से निकलना बेहतर रहता है। काशी/कानपुर/इंदौर/कटरा—इन सभी केंद्रों पर स्थानीय आवास/पार्किंग व सड़क परिवहन की व्यवस्था उपलब्ध है।