June 9, 2025

राष्ट्र की परम्परा

हिन्दी दैनिक-मुद्द्दे जनहित के

क़र्म वश में रखें, आदित्य सुभाव बनेंगे

सागर के पानी में गहराई होती है,
यादें तो अक्सर तन्हाई में आती हैं,
दुनिया में कौन किसको याद करता है,
याद करे तो यादों में सच्चाई होती है।

रिश्ते भले ही आसपास हों या दूर हों,
अनमोल होते हैं, और आनंद देते हैं,
जीवन में आनंद अपनी शर्तों पर और
अपने तरीक़े से लें तो बेहतर होते हैं।

जो सत्य की एक किरण खोज लेते हैं,
वह किरण जीवन प्रकाशित करती है,
रोशनी की ये झलक जिसे मिलती है,
औरों को भी सुख झलक दिखाती है।

यह सुखानुभूति दिल को ख़ुशी देती है,
इसे छू कर नही दिल से जाना जाता है,
वर्ना तो औरों की ख़ुशी देने के लिये
शेरों को सरकश में नचाया जाता है।

सुमधुर बोलना एक महत्वपूर्ण गुण है,
जिसके लिए प्रयास रत रहना होता है,
अच्छा बनना जीवन में ज़रूरी होता है,
पर अच्छा बन साबित करना व्यर्थ है।

सर्वश्रेष्ठ बनने के लिये सबसे खराब
स्थिति को नियंत्रित करना पड़ता है,
जीवन में सर्वश्रेष्ठ पाने के लिए हमें
निरंतर संघर्ष, प्रयास करता पड़ता है।

विचारों को वश में रखें तो शब्द बनेंगें
शब्दों को वश में रखें तो वो कर्म बनेंगे,
कर्म वश में रखें, आदित्य सुभाव बनेंगे,
स्वभाव वश में रखेंगे, वो चरित्र बनेंगे।

डा. कर्नल आदि शंकर मिश्र
‘आदित्य’