Thursday, October 16, 2025
HomeUncategorizedकजरी तीज 2025: तिथि, महत्व और पौराणिक कथा

कजरी तीज 2025: तिथि, महत्व और पौराणिक कथा

हर साल कजरी तीज का पर्व हिंदू समाज में बड़े उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है। इसे बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत का विशेष महत्व विवाहित महिलाओं के लिए होता है, जो अपने पति की लंबी उम्र, सुख-सौभाग्य और खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना के साथ पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं।

📅 कजरी तीज 2025 की तिथि

हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल कजरी तीज का व्रत 22 अगस्त 2025, शुक्रवार को किया जाएगा। यह तीज भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ती है।
🪔 कजरी तीज का महत्व

यह पर्व मुख्य रूप से उत्तर भारत में—विशेषकर उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और राजस्थान में—धूमधाम से मनाया जाता है।

विवाहित महिलाएं अपने सोलह श्रृंगार के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं।

इस व्रत में महिलाएं निर्जला उपवास करती हैं और रात को चंद्रमा के दर्शन के बाद व्रत तोड़ती हैं।

कजरी तीज का पर्व सावन-भादों के पावस ऋतु में आता है, जब चारों ओर हरियाली और उत्सव का माहौल होता है।
📜 व्रत की उत्पत्ति और पौराणिक कथा कजरी तीज से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार
एक समय की बात है, एक गरीब ब्राह्मण परिवार में पत्नी अपने पति और बच्चों के सुख-समृद्धि के लिए हर साल तीज का व्रत करती थी। लेकिन अत्यधिक गरीबी के कारण उसके पास पूजा के लिए आवश्यक सामग्री नहीं थी। वह बहुत दुखी थी कि भगवान शिव-पार्वती को क्या अर्पित करेगी।

तब उसने मिट्टी से शिवलिंग बनाया और मन से पूजा की। श्रद्धा और भक्ति देखकर भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न हुए और उसे आशीर्वाद दिया कि उसके परिवार में कभी धन-धान्य की कमी नहीं होगी। तब से यह मान्यता बनी कि कजरी तीज पर सच्ची भक्ति और निष्ठा से पूजा करने पर भगवान शिव-पार्वती भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।
🙏 व्रत की पूजा-विधि

  1. सुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. व्रत का संकल्प लें और भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. सोलह श्रृंगार करें और पूजा सामग्री जैसे बेलपत्र, अक्षत, फल-फूल, धूप-दीप अर्पित करें।
  4. कजरी तीज की कथा सुनें या पढ़ें।
  5. चंद्र दर्शन के बाद अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
    🌿 सांस्कृतिक और सामाजिक पहलू
    कजरी तीज केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखती, बल्कि यह सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी खास है। गांव-गांव में मेले लगते हैं, महिलाएं झूले झूलती हैं, लोकगीत गाती हैं और पारंपरिक नृत्य करती हैं। यह पर्व बरसात के मौसम में आपसी मेल-जोल और खुशी का अवसर भी प्रदान करता है।
    कजरी तीज का व्रत आस्था, प्रेम और त्याग का प्रतीक है। यह न केवल पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और सकारात्मकता भी लाता है। 2025 में यह शुभ अवसर 22 अगस्त को आ रहा है, जिसे भक्तजन पूरे श्रद्धा भाव से मनाएंगे।
RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments