न्यूयॉर्क, (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) के उच्च स्तरीय 80वें सत्र की शुरुआत के साथ ही भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो सोमवार को न्यूयॉर्क में आमने-सामने मुलाकात करेंगे। यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब भारत-अमेरिका संबंध व्यापार और वीज़ा नीति को लेकर नए तनाव के दौर से गुजर रहे हैं।
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हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। इससे भारत पर कुल शुल्क दर 50% तक पहुंच गई है। इसके साथ ही, ट्रंप ने एच-1बी वीज़ा श्रेणी पर 1,00,000 डॉलर का शुल्क लगाने का व्यापक आदेश भी दिया है। इन दोनों फैसलों ने भारत की आईटी और ऊर्जा क्षेत्र पर सीधा असर डाला है और यही कारण है कि जयशंकर और रुबियो की मुलाकात को बेहद रणनीतिक और संवेदनशील माना जा रहा है।
अमेरिकी विदेश विभाग द्वारा जारी कार्यक्रम के अनुसार, यह बैठक सोमवार सुबह न्यूयॉर्क शहर में होगी। माना जा रहा है कि इसमें व्यापारिक टकराव, रणनीतिक साझेदारी, रक्षा सहयोग, इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की सुरक्षा चुनौतियां और वीज़ा नीति पर खुलकर चर्चा होगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, यह वार्ता दोनों देशों के बीच बढ़ती खाई को पाटने में अहम भूमिका निभा सकती है।
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इससे पहले अगस्त में फिलीपींस के राष्ट्रपति बोंगबोंग मार्कोस की भारत यात्रा के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर और उनके समकक्ष एनरिक मैनालो के बीच हुई बातचीत को “सफल और सकारात्मक” बताया गया था। उस बैठक में समुद्री सहयोग, रक्षा और राजनीतिक साझेदारी पर विशेष जोर दिया गया था।
जयशंकर इस सप्ताह न्यूयॉर्क में कई द्विपक्षीय और बहुपक्षीय बैठकों में हिस्सा लेंगे। साथ ही, 27 सितंबर को वे संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रतिष्ठित मंच से भारत का राष्ट्रीय वक्तव्य देंगे। माना जा रहा है कि अपने संबोधन में जयशंकर वैश्विक दक्षिण (Global South), ऊर्जा सुरक्षा, आतंकवाद और बहुपक्षीय सुधारों जैसे मुद्दों को प्रमुखता से उठाएंगे।
भारत-अमेरिका संबंधों की दिशा तय करने वाली यह मुलाकात आने वाले दिनों में वैश्विक राजनीति और आर्थिक समीकरणों पर गहरा असर डाल सकती है।