मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत,
कहे कबीर हरि पाइए,
मन ही की परतीत।
जब एक चिकित्सक मुस्कुरा कर
मरीज़ को अपना स्नेह दिखा कर,
उसकी बीमारी का उपचार करता है,
रोगी का आधा रोग दूर हो जाता है।
हमारे मोतियाबिंद की सफल शल्य
चिकित्सा अभी दो दिन पूर्व ही हुई,
आलमबाग के शन आई अस्पताल में,
मेरी व पद्मा जी की सफल सर्जरी हुई।
अस्पताल का साफ़ स्वच्छ दिखना,
उससे सुंदर व्यवहार स्टाफ़ से मिलना,
शुरुआत ही फ़ोन पर जानकारी में,
जयहिंद कर्नल साहब से शुरू करना।
सभी स्टाफ़ और यहाँ का प्रबंधन,
नर्सिंग से लेकर सभी डाक्टर तक,
हम दोनों को वरिष्ठ मरीज़ समझते,
उपचार व उससे अधिक आदर करते।
आपरेशन टेबल पर डाक्टर सुधीर के,
जयहिंद कर्नल साहब उनके शब्द थे,
मैं उन्हें नहीं, पर वो मुझे देख रहे थे,
जानता था वे डा. सुधीर श्रीवास्तव थे।
मेरी आँख की सर्जरी पूरी हो गई,
डा. सुधीर श्रीवास्तव की बातों में,
बढ़िया आपरेशन हो गया आँख का,
यही शब्द उनके थे जो मुझसे कहे।
आपरेशन के बाद पूरा ख़याल,
सारे स्टाफ़ ने हँस हँस कर रखा,
मेरी पत्नी पद्मा जी को व्हील चेयर
पर शुरू से आख़िर तक बैठाये रखा।
आदित्य हम दोनों का व मेरे पूरे परिवार का बहुत बहुत धन्यवाद है,
शन आई अस्पताल उनके डाक्टर
व सभी स्टाफ़ का विशेष आभार है।
कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
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