नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)भारतीय सेना ने अपनी हवाई सुरक्षा क्षमता को नई ऊँचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। सेना की एयर डिफेंस शाखा ने स्वदेशी त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली (QRSAM) ‘अनंतशस्त्र’ के लिए Request for Proposal (RFP) जारी कर दिया है।
‘अनंतशस्त्र’ सिर्फ एक मिसाइल प्रणाली नहीं है, बल्कि यह भारत की स्वदेशी रक्षा तकनीक की ताकत और भविष्य की युद्ध रणनीति का प्रतीक है। यह सेना के टैंक, बीएमपी, तोपखाने और मशीनीकृत यूनिट्स को हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करेगी। यह प्रणाली दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों, ड्रोन, घूमते हुए हथियारों और रॉकेटों तक को रोकने में सक्षम होगी।
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युद्धक्षेत्र के 10 किलोमीटर तक फैले निम्न से मध्य हवाई क्षेत्र को सबसे खतरनाक माना जाता है। यही वह इलाका है जहाँ दुश्मन की वायु ताकतें हमला करने उतरती हैं। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान सेना की वायु रक्षा ने इस क्षेत्र में अपनी क्षमता साबित की थी। अब ‘अनंतशस्त्र’ उस रक्षा कवच को और भी मज़बूत करेगा।
इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत नौ इकाइयाँ बनाई जाएंगी, जिनमें 36 मिसाइल लॉन्चर और 36 आधुनिक रडार शामिल होंगे। इससे तीन रेजिमेंट तैयार की जाएँगी। पूरी योजना का बजट लगभग 30,000 करोड़ रुपये है, जो भारतीय सेना की अब तक की सबसे बड़ी वायु रक्षा परियोजनाओं में से एक होगी।
‘अनंतशस्त्र’ के शामिल होने के बाद भारत के मोबाइल युद्ध समूह न केवल आत्मनिर्भर ढंग से ऑपरेशन कर सकेंगे, बल्कि दुश्मन को हवाई मोर्चे पर कड़ी चुनौती भी देंगे।