Wednesday, October 15, 2025
HomeUncategorizedभारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पटरी पर, अमेरिकी रुख में नरमी

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पटरी पर, अमेरिकी रुख में नरमी

Image Source: X Grok

नई दिल्ली।(राष्ट्र की परम्परा) भारत और अमेरिका के बीच ठंडी पड़ी व्यापार वार्ता एक बार फिर से पटरी पर लौट आई है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने और वार्ता रोक देने के कुछ ही हफ्तों बाद वाशिंगटन से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल नई दिल्ली पहुंचा है। दोनों देशों के बीच बातचीत सकारात्मक माहौल में शुरू हो चुकी है।

अमेरिकी रुख में बदलाव

जानकारी के मुताबिक, इस बार अमेरिका ने अपने रुख में लचीलापन दिखाया है। अब वह भारत से कृषि और डेयरी बाजारों में व्यापक पहुंच की बजाय केवल प्रीमियम चीज़ (cheese) और मक्का (corn) की खरीद की अपेक्षा कर रहा है। अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि उनका उद्देश्य भारत के छोटे डेयरी किसानों से प्रतिस्पर्धा करना नहीं, बल्कि उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बेचना है।

जीएम कॉर्न बना रोड़ा

हालाँकि, मक्का आयात पर बड़ा विवाद बरकरार है। अमेरिका का अधिकांश कॉर्न जेनिटिकली मॉडिफाइड (GM) है, जबकि भारत न तो इसके आयात की अनुमति देता है और न ही घरेलू स्तर पर इसकी खेती करता है। इसके अलावा, बिहार जैसे राज्यों में चुनावी परिदृश्य को देखते हुए इस पर राजनीतिक विरोध की संभावना भी है।

चीन-अमेरिका व्यापार युद्ध का असर

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिकी नरमी उसके घरेलू कृषि संकट की देन है। चीन के साथ व्यापार युद्ध ने अमेरिकी किसानों की हालत खराब कर दी है। चीन, जो अमेरिका का सबसे बड़ा खरीदार था, अब ब्राज़ील जैसे विकल्पों की ओर रुख कर चुका है। नतीजतन अमेरिकी गोदाम सोयाबीन और कॉर्न से भर गए हैं। यही वजह है कि ट्रंप प्रशासन भारत जैसे बड़े बाजार के साथ समझौते की कोशिश कर रहा है।

भारत की रणनीतिक मजबूती

विश्लेषकों का मानना है कि भारत ने इस पूरे घटनाक्रम में रणनीतिक धैर्य दिखाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दबाव के आगे झुकने का संदेश नहीं दिया, बल्कि किसानों और स्वदेशी उद्योगों के पक्ष में खड़े होने का भरोसा जताया। इससे वैश्विक मंच पर यह संकेत गया कि भारत अपने हितों से समझौता नहीं करेगा।

आगे की राह

ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) के अनुसार, जब तक अमेरिका अतिरिक्त शुल्क—विशेषकर रूस से तेल आयात पर लगाई गई 25% ड्यूटी—को वापस नहीं लेता, तब तक कोई बड़ा ब्रेकथ्रू संभव नहीं है। साथ ही, विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका का मौजूदा लचीलापन स्थायी नहीं है। परिस्थितियाँ बदलते ही वह फिर से कड़ा रुख अपना सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता का यह नया चरण अवसरों के साथ चुनौतियाँ भी लेकर आया है। भारत को दीर्घकालिक तैयारी के साथ आगे बढ़ना होगा और किसानों, घरेलू उद्योग व उपभोक्ताओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देनी होगी। अमेरिका चाहे कितनी भी ‘चीज़ी’ पेशकश क्यों न करे, भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी समझौता उसकी संप्रभुता और आत्मनिर्भरता की नींव को कमजोर न करे।

RELATED ARTICLES
- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments