मुंबई (राष्ट्र की परम्परा डेस्क) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने गुरुवार को मुंबई में ऐतिहासिक मुलाकात की। यह बैठक भारत-यूके “विजन 2035 रोडमैप” के तहत दोनों देशों के बीच व्यापक रणनीतिक सहयोग को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है। दोनों नेताओं की चर्चा में व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी, जलवायु परिवर्तन और शिक्षा के क्षेत्र में साझेदारी को विस्तार देने पर विशेष जोर रहा।
दोनों देशों के बीच हुई वार्ता के दौरान सीईओ फोरम और ग्लोबल फिनटेक फेस्ट 2025 में सहभागिता को लेकर भी विचार-विमर्श हुआ। ब्रिटिश प्रधानमंत्री अपने साथ ब्रिटेन के 125 शीर्ष उद्योगपतियों, निवेशकों और शिक्षाविदों के प्रतिनिधिमंडल के साथ दो दिवसीय भारत यात्रा पर पहुंचे हैं।
यह यात्रा उस ऐतिहासिक पल के बाद हो रही है जब ढाई महीने पहले भारत और ब्रिटेन ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते से न केवल शुल्कों में कमी आएगी, बल्कि दोनों देशों के बीच बाजार पहुंच बढ़ेगी और 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार दोगुना होने की उम्मीद जताई जा रही है।
प्रधानमंत्री मोदी की जुलाई में लंदन यात्रा के दौरान इस व्यापारिक समझौते को अंतिम रूप दिया गया था। ब्रिटिश पीएम स्टार्मर ने इसे दोनों देशों के आर्थिक विकास का “लॉन्चपैड” बताते हुए कहा कि “यह केवल एक दस्तावेज नहीं, बल्कि भविष्य की समृद्धि का आधार है।” उन्होंने विश्वास जताया कि भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में अग्रसर है और इस साझेदारी से दोनों देशों को अप्रत्याशित अवसर मिलेंगे।
भारत की ओर से वार्ता में ब्रिटेन की भूमि से संचालित कुछ खालिस्तान समर्थक गतिविधियों पर चिंता जताने के साथ-साथ विजय माल्या और नीरव मोदी जैसे आर्थिक अपराधियों के शीघ्र प्रत्यर्पण का मुद्दा भी प्रमुख रूप से उठाए जाने की संभावना है।
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