
स्वास्थ्य कभी औषधियों के बल से
किसी का नही निखारा जाता है,
मन का संतोष कभी धन की ताक़त
से नही किसी को मिल पाता है।
आत्मा का संयम, संतोष हृदय का
शरीर को स्वस्थ बनाए रखते हैं,
हँसी ख़ुशी और अनुरागी जीवन
से तन मन सभी स्वस्थ रहते हैं।
परिवेश हमारा अपना हो, अपने
देश के पुरखों का पूरा सपना हो,
गांधी, गौतम की पावन धरती पर,
ही जीवन की यह यात्रा पूरी हो।
जिस धरती पर हम जन्मे, उस धरती
की सेवा में साँसो की गिनती पूरी हो,
पुनर्जन्म यदि होता हो तो हे ईश्वर
अपनी मातृभूमि से कभी न दूरी हो।
भारत की रक्षा में जैसे बलिदान
दिया है इस देश के बीर सपूतों ने,
मेरा तन-मन सभी निछावर हो उन
असंख्य शहीदों की श्रद्धांजलि में।
स्वस्थ देश के जन हों सारे, सारी
जनता भारत भक्ति की क़ायल हो,
जनता जनार्दन की सेवा में नेता,
मंत्री, अधिकारी सब हाज़िर हों ।
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई उत्तर
दक्षिण तक पावन पर्वत नदियाँ,
लहराये तिरंगा प्यारा कोने कोने में,
गर्मी, सर्दी, वसंत, शरद हर ऋतु में।
हो मेरे भारत की एकता अखण्ड,
जन, गण, मन अधिनायक जय हे,
हे भारत भाग्य विधाता जय हे,
आदित्य सदा जय हे जय हे जय हे।
- कर्नल आदि शंकर मिश्र ‘आदित्य’
लखनऊ
More Stories
हमारे शब्द और सोच
गुप्त नवरात्रि:नौवीं महाविद्या मातंगी देवी
ईश्वर सबको प्रसन्न रखता है