Saturday, December 27, 2025
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कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन: केंद्रीय सचिवालय का नया अध्याय

नई दिल्ली (राष्ट्र की परम्परा डेस्क)प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राजधानी दिल्ली में कर्तव्य भवन-3 का भव्य उद्घाटन किया। यह भवन देश के प्रशासनिक इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ते हुए कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट परियोजना का पहला चरण है। यह परियोजना केंद्र सरकार के बिखरे हुए मंत्रालयों और विभागों को एकीकृत कर एक ही परिसर में लाने के उद्देश्य से तैयार की गई है।

कर्तव्य भवन-3: आधुनिक भारत की प्रशासनिक पहचान कर्तव्य भवन-3 को आधुनिक वास्तुकला, तकनीकी दक्षता और पर्यावरणीय संतुलन के साथ तैयार किया गया है। इस भवन में निम्नलिखित मंत्रालयों और कार्यालयों की स्थापना की गई है:
गृह मंत्रालय,विदेश मंत्रालय,ग्रामीण विकास मंत्रालय,सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय (MSME),कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (DoPT),पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय,प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (PSA) का कार्यालय
यह भवन अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त है जिसमें डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, ऊर्जा दक्षता, हरित भवन मानकों और एकीकृत कार्य संस्कृति को विशेष महत्व दिया गया है।
कर्तव्य पथ से जुड़े नए युग की शुरुआत
कर्तव्य भवन-3 का उद्घाटन न केवल एक भवन का उद्घाटन है, बल्कि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए भारत के विजन का भी प्रतीक है – एक ऐसा भारत जो सुशासन, पारदर्शिता और नवाचार को महत्व देता है। यह भवन नई दिल्ली के प्रतिष्ठित कर्तव्य पथ पर स्थित है, जहां से देश की नीतियां आकार लेती हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा,
“कर्तव्य भवन केवल ईंट-पत्थर का ढांचा नहीं है, यह भविष्य की व्यवस्था, नीति और प्रशासन की दिशा को तय करने वाला नया केंद्र बिंदु है।”
सुविधाएं और विशेषताएं
भवन में ऊर्जा संरक्षण की तकनीकें अपनाई गई हैं
ग्रीन बिल्डिंग प्रमाणन प्राप्त,मंत्रालयों के बीच तेज और समन्वित संचार व्यवस्था,कर्मचारियों के लिए बेहतर कार्य वातावरण और सुविधाएं
भविष्य की योजना,कर्तव्य भवन-3 के बाद अन्य 9 भवनों का निर्माण भी तेज गति से चल रहा है। पूरे कॉमन सेंट्रल सेक्रेटेरियट कॉम्प्लेक्स के पूरा होने पर दिल्ली भर में फैले लगभग 50 से अधिक भवनों में कार्य कर रहे विभिन्न मंत्रालय एक ही परिसर में आ जाएंगे। इससे न केवल किराए और संचालन की लागत में भारी कमी आएगी, बल्कि नीति निर्माण और प्रशासनिक कार्यों की गति और गुणवत्ता में भी सुधार होगा।

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