राष्ट्र की परम्परा डेस्क भारत और पाकिस्तान के बीच दशकों पुराना सर क्रीक विवाद एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। गुजरात की तटरेखा से सटे इस संवेदनशील क्षेत्र में पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे सैन्य ढांचे के विस्तार ने नई चिंता खड़ी कर दी है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में शस्त्र पूजन के अवसर पर सैनिकों के साथ दशहरा मनाते हुए पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि यदि पाकिस्तान सर क्रीक सेक्टर में कोई भी दुस्साहस करता है, तो उसका जवाब इतना निर्णायक होगा कि “वह इतिहास और भूगोल दोनों बदल देगा।”
सिंह ने आरोप लगाया कि पाकिस्तान जानबूझकर इस विवाद को भड़काता है, जबकि भारत ने हमेशा बातचीत के जरिए समाधान की पहल की है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी सेना द्वारा सिंध के दक्षिण-पूर्वी हिस्से में आपातकालीन हवाई पट्टियों और सैन्य छावनियों का निर्माण उसके अस्पष्ट इरादों और उकसावे वाले रुख को दर्शाता है।
रक्षा मंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान ने पाकिस्तान की हवाई रक्षा को बेनकाब किया और भारत की सैन्य क्षमता को साबित किया। उन्होंने 1965 के युद्ध का ज़िक्र करते हुए कहा, “उस समय भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुंचने की क्षमता दिखाई थी। पाकिस्तान को याद रखना चाहिए कि कराची का रास्ता भी सर क्रीक से होकर जाता है।”
करीब 96 किलोमीटर लंबा सर क्रीक क्षेत्र, कच्छ के रण और पाकिस्तान के बीच स्थित ज्वारीय मुहाना है। समुद्री सीमा की अलग-अलग व्याख्याओं के कारण यह इलाका आजादी के 78 साल बाद भी विवादित बना हुआ है। विशेषज्ञ मानते हैं कि इसका सामरिक महत्व इतना बड़ा है कि किसी भी प्रकार का टकराव पूरे क्षेत्र की सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को प्रभावित कर सकता है।
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