3 अक्टुबर 1984 का ऐतिहासिक सफर की हुई थी शुरुआत
राष्ट्र की परम्परा डेस्क भारत अपनी विविधता, संस्कृति और भौगोलिक विस्तार के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। दक्षिण के सागर तट से लेकर उत्तर के बर्फीले पहाड़ों तक की यात्रा यदि कोई रेलगाड़ी सबसे सुंदर तरीके से करवाती है, तो वह है हिमसागर एक्सप्रेस। 1984 में भारतीय रेल के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा, जब इस ट्रेन को देश की सबसे लंबी दूरी तय करने वाली एक्सप्रेस के रूप में शुरू किया गया। यह न केवल एक साधारण रेलगाड़ी है, बल्कि भारत की एकता, विविधता और भौगोलिक सुंदरता की चलती-फिरती तस्वीर भी है।
शुरुआत की कहानी: 1984 का ऐतिहासिक सफर
1984 में भारतीय रेल ने हिमसागर एक्सप्रेस को जनता के लिए शुरू किया। इसका मकसद केवल एक नई ट्रेन चलाना नहीं था, बल्कि देश के एक सिरे को दूसरे सिरे से जोड़ना था। कन्याकुमारी, जिसे “भारत का अंतिम छोर” कहा जाता है, से लेकर जम्मू तवी, जो कश्मीर के द्वार के रूप में प्रसिद्ध है — इन दोनों को जोड़कर भारतीय रेल ने एक तरह से उत्तर से दक्षिण को एक सूत्र में पिरो दिया।
इस ट्रेन ने उस दौर में यात्रियों को यह अनुभव कराया कि भारत वास्तव में कितना विशाल और विविधताओं से भरा हुआ है।
मार्ग और दूरी: हजारों किलोमीटर की जीवन यात्रा
हिमसागर एक्सप्रेस का मार्ग लगभग 3,715 किलोमीटर लंबा है, जो भारत की सबसे लंबी दूरी तय करने वाली यात्री ट्रेन बनाता है। यह यात्रा कन्याकुमारी (तमिलनाडु) से शुरू होकर जम्मू तवी (जम्मू-कश्मीर) पर समाप्त होती है।
इस दौरान ट्रेन 12 राज्यों से होकर गुजरती है:
तमिलनाडु,केरल,कर्नाटक,महाराष्ट्र,मध्यप्रदेश
उत्तर प्रदेश,दिल्ली,हरियाणा,पंजाब,और अंततः जम्मू-कश्मीर।
ट्रेन अपने रास्ते में 60 से अधिक स्टेशनों पर रुकती है और यात्रियों को विविध संस्कृति, भाषा, भोजन और पहनावे की झलक दिखाती है।
समय और अनुभव
हिमसागर एक्सप्रेस को अपना पूरा सफर तय करने में लगभग 70 से 72 घंटे लगते हैं। यह ट्रेन सप्ताह में एक बार चलती है, लेकिन इसका इंतजार यात्रियों को बड़ी बेसब्री से रहता है।
इसका अनुभव केवल यात्रा का नहीं, बल्कि भारत के विशाल भूगोल और सांस्कृतिक विविधता को देखने का भी है। समुद्र तट की ठंडी हवाओं से लेकर दिल्ली की हलचल और फिर जम्मू की पहाड़ी ठंडक तक — हर यात्री को अलग-अलग मौसम और परिदृश्य देखने का अवसर मिलता है।
हिमसागर एक्सप्रेस क्यों है खास? सबसे लंबी दूरी की ट्रेन – यह भारत में एकमात्र यात्री ट्रेन है, जो समुद्र तट से बर्फीले पहाड़ों तक की यात्रा कराती है।
- एकता का प्रतीक – देश के दक्षिणी छोर को उत्तरी छोर से जोड़कर यह ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत करती है।
- आर्थिक और सामाजिक महत्व – लाखों यात्री, खासकर लंबी दूरी के प्रवासी और सैनिक परिवार, इस ट्रेन पर निर्भर रहते हैं।
- पर्यटन को बढ़ावा – रास्ते में आने वाले अनेक धार्मिक, ऐतिहासिक और प्राकृतिक स्थल पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
यात्रा के दौरान दृश्य और अनुभव
कन्याकुमारी का तटीय सौंदर्य – यहां से यात्रा शुरू होते ही समुद्री लहरें और सूर्योदय का मनमोहक दृश्य मिलता है।
केरल की हरियाली – नारियल के पेड़, बैकवाटर और धान के खेत हर यात्री का मन मोह लेते हैं।
महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश का औद्योगिक क्षेत्र – यहां से गुजरते हुए भारत की आर्थिक गतिविधियों की झलक मिलती है।
दिल्ली और उत्तर भारत का रंग – राजधानी का हलचल भरा जीवन, पंजाबी संस्कृति और आगे हिमालय की ओर बढ़ती ठंडक का अनुभव अविस्मरणीय होता है।
जम्मू की धरती – यात्रा का अंतिम पड़ाव, जहां बर्फ से ढके पहाड़ और धार्मिक महत्व की झलक देखने को मिलती है।
यात्रियों के लिए खास सुविधा
हिमसागर एक्सप्रेस को लंबी दूरी की वजह से यात्रियों की सुविधा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इसमें
स्लीपर क्लास,एसी 3-टियर,एसी 2-टियर,एसी 1-टियर,की सुविधाएं मौजूद रहती हैं।
साथ ही, कैटरिंग सेवाओं और स्टेशन पर उपलब्ध खाने-पीने की विविधता इस यात्रा को और भी यादगार बना देती है।
भारत की एकता का संदेश
हिमसागर एक्सप्रेस केवल ट्रेन नहीं, बल्कि एक चलता-फिरता भारत है। इसमें चढ़ने वाला हर यात्री अलग भाषा बोलता है, अलग भोजन लाता है और अलग संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। लेकिन 3,700 किलोमीटर की यह यात्रा साबित करती है कि विविधताओं के बावजूद हम सब भारतीय हैं और एक साझा पहचान से जुड़े हैं।
रोचक तथ्य (Fun Facts)
हिमसागर एक्सप्रेस भारत की सबसे लंबी दूरी तय करने वाली यात्री ट्रेन है।
इसका नाम ‘हिमसागर’ इसलिए पड़ा क्योंकि यह हिमालय (हिम) से लेकर सागर (कन्याकुमारी) तक जाती है।
यह ट्रेन औसतन 50 किमी/घंटा की गति से चलती है।
इस ट्रेन का नंबर 16317/16318 है।
इसमें प्रतिदिन औसतन 2000 से अधिक यात्री सफर करते हैं।
एक ट्रेन, अनगिनत कहानियां
हिमसागर एक्सप्रेस की यात्रा केवल दूरी तय करने का साधन नहीं, बल्कि यह भारत की विविधता, संस्कृति और एकता की जीवंत मिसाल है। 1984 में शुरू हुई यह ट्रेन आज भी लाखों लोगों के जीवन का अभिन्न हिस्सा है।
जब कोई यात्री कन्याकुमारी से जम्मू तक का टिकट लेता है, तो वह केवल एक जगह से दूसरी जगह जाने का फैसला नहीं करता, बल्कि वह भारत के उत्तर-दक्षिण को जीने और महसूस करने की यात्रा करता है।